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शादी का प्रेशर: 5 बातें जो इंडियन पेरेंट्स को अपनी बेटी से नहीं कहना चाहिए

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Swati Bundela
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हमारे देश में शादी का प्रेशर ज़रूरत से ज़्यादा और काफी बार बिना मतलब के क्रिएट किया जाता है। विशेष तौर से एक लड़की के लिए ये प्रेशर इतना ज़्यादा बना दिया जाता है कि उसके आस-पास सब जगह लोग बस उससे शादी के बारे में ही पूछते हैं। कई बार इवेंट्स और शादी के फंक्शन्स में लड़कियों को बस यही सुनने को मिलता है कि अगली बार उसकी शादी होगी या फिर अब उसे शादी कर लेना चाहिए। सबसे बड़ी प्रॉब्लम तो तब खड़ी होती है जब एक लड़की को उसके पेरेंट्स शादी के लिए प्रेशराइज़्ड करते हैं। इस शादी का प्रेशर के चलते ना जाने कितनी ही लड़कियां अपने करियर के ट्रैक से डेविएट हो जाती हैं और कई बार हेल्थ प्रोब्लेम्स का भी शिकार हो जाती हैं।

5 शादी से रिलेटेड बातें जो पेरेंट्स को अपनी बेटियों से नहीं कहना चाहिए:

1. अभी नहीं तो कब?

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शादी के लिए राइट एज तब आती है जब आप इसके लिए तैयार हो ना कि तब जब आपके पेरेंट्स या पूरी सोसाइटी तैयार है। आज पेरेंट्स को ये समझना बहुत ज़रूरी है कि अगर बेटी शादी के लिए तैयार नहीं तो उसको इसके लिए प्रेशराइज़ करने का कोई मतलब नहीं है। अगर एक लड़की अपनी शादी के प्रति होने वाली रेस्पॉन्सिबिलिटीज़ से अवगत नहीं तो उसपर शादी के लिए दबाब बनाना उसकी केयर करना नहीं होता है।

2. हमारे चले जाने के बाद तुम्हें कौन देखेगा?

पेरेंट्स का शादी के लिए मैनिपुलेट करने वाला ये सबसे पसंदीदा डायलॉग होता है कि हमारे बाद तुम्हारा क्या होगा। ऐसे सिचुएशन में वो अपनी बेटियों को इमोशनल ब्लैकमेल करते हैं ताकि वो शादी के लिए हां बोल दें। हमेशा याद रखें कि आपको अपने लाइफ में इंडिपेंडेंट होने की ज़रूरत है ताकि अपने देखभाल के लिए आपको किसी की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए। इसलिए अगर पेरेंट्स ऐसा कुछ कहें तो उनको सीधा समझाएं कि आप अपना केयर खुद कर सकती हैं।

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3. शादी के बाद पढाई कंटिन्यू करना 

पेरेंट्स का सबसे बड़ा गोल होना चाहिए अपने बच्चों को एम्पॉवर करना ताकि उन्हें किसी पर भी डिपेंडेंट ना होना पड़े। एम्पावरमेंट के लिए सबसे ज़रूरी है एजुकेशन। जब बेटियां सही से एस्टेबिलिश्ड होंगी तो वो अपने लिए करेक्ट लाइफ पर्त्ने रखा डिसिशन भी सही तरीके से ले पाएंगी।

4. मदरहुड के जॉय्स को मिस करोगी 

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पेरेंट्स की माने तो शादी के बाद का अल्टीमेट गोल होता है मदरहुड। लेकिन ये ज़रूरी नहीं है कि हर महिला मदरहुड की एस्पिरशंस रखती है और ना ही एक अच्छी माँ होने के लिए शादीशुदा होना ज़रूरी है। इसलिए सिर्फ मदरहुड के एक्सपीरियंस को जीने के लिए शादी का प्रेशर क्रिएट करना सही नहीं है।

5. ज़्यादा उम्र की लड़की से कोई शादी नहीं करेगा 

शादी करने की कोई डेफिनिटिव एज नहीं होती है और ये बात दोनों जेंडर पर बराबर लागू होनी चाहिए। जब सोसाइटी शादी के लिए मेन के एज को लेकर कोई सवाल नहीं उठाती है तो वीमेन के लिए ऐसा क्यों नहीं है? सोसाइटी की इस यंग ब्राइड ओबसेशन को ख़त्म करना बहुत ज़रूरी है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लड़कियां अपने आप में कम्फर्टेबल महसूस कर सकें और शादी को तब ऑप्ट करें जब वो इसके लिए खुद तैयार हों।

शादी का प्रेशर



#फेमिनिज्म सोसाइटी
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