कैसे हुई अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुवात ?

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Swati Bundela
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international women day history in hindi

यह बात तो सच है कि केवल एक ही दिन महिलाओं, उनकी प्रगति और उनके अधिकारों पर बात नहीं होनी चाहिए। बल्कि निरंतर महिलाओं के अधिकारों को बल मिलना चाहिए, और उनको आगे बढ़ने के लिए हर तरफ़ से रोज़ प्रोत्साहना मिलती रहनी चाहिए। मगर इसी के साथ यह बात भी तर्कपूर्ण है कि एक पूरा दिन महिलाओं के नाम होने से, महिलाओं से जुड़ी तमाम चीजों पर बात होने की पहल होगी। एक टॉपिक खुलेगा जिससे महिलाओं से जुड़ी तमाम चीजों को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जा सकती है। international women day history in hindi

महिलाओं को 8 मार्च के दिन सेलिब्रैट करना न करना, आपकी मर्जी। मगर यह बेहद जरूरी है कि हर इंसान अपने स्तर पर महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करे, उनके लिए चारों ओर एक सुरक्षित माहौल बनाये और उनको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करे।

ऐसे शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस :


सदियों से खुद को मुख्य धारा से अलग पाने के बाद 1908 में स्त्रियों ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई और खुद के लिए एक आंदोलन शुरू किया। इस महिला मजदूर आंदोलन से महिलाओं ने खुद के लिए काम करने के समय को कम करवाने, अच्छी तनख़्वाह और वोटिंग के अधिकार मांगे। साथ ही, समान अधिकारों की भी माँग की। और फिर लगभग एक साल बाद, अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहले राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की घोषणा की थी।

यूनाइटेड स्टेट्स में 28 फरवरी 1909 को पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था। जिसके बाद महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का विचार एक महिला क्लारा ज़ेटकिन ने 1910 में  दिया। क्लारा ज़ेटकिन का कहना था की पूरे विश्व की महिलाओं को अपने अधिकारों की बात करने का मौका मिलना चाहिए, और महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय तौर पर मानना चाहिए।

इन्हीं बातों के चलते एक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें 17 देशों की 100 महिलाओं ने भाग लिया और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने पर सहमति व्यक्त की। 19 मार्च 1911 को आस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। उसके बाद 1913 में इसे बदल कर 8 मार्च कर दिया। 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहली बार 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया था।
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