जब एक इंसान सफल होता है तो पिता बड़े गर्व से कहते है कि "आखिर बेटा किसका है या" आखिर बेटी किसकी है "। लेकिन जब कोई लड़का या लड़की कुछ ऐसा करते है जो समाज के नजर में गलत है तो उसे ताने सुनने पड़ते है कि क्या मां ने यही सिखाया? ये हमारे समाज की रीत है की सफलता का श्रेय पिता को दे और गलती हो तो उसके लिए मां को जिम्मेदार ठहराए। पर क्या ये सही है?
क्या बच्चे का खयाल रखना सिर्फ मां की जिम्मेदारी है?
बचपन से लेकर बड़े होने तक बच्चे के रहन सहन का तरीका, बात करने का तरीके, तमीज इन सब को सिखाना मां की जिम्मेदारी बताया जाता है। अगर बच्चे से कुछ गलती हो जाए तो मां को कोसा जाता है। इसलिए हमेशा मां अपने बच्चे की हर हरकत को लेकर चिंतित रहती है और कोशिश करती है कि वो अपने बच्चे को सब कुछ सही तरीके से सिखाए।
महिलाओं से ये उम्मीद रखना गलत है कि बच्चो की परवरिश उन्ही की जिम्मेदारी है। बच्चे की जिम्मेदारी ये मां बाप दोनो की होती है। मां बाप दोनो ने बच्चो की जिम्मेदारी लेना बहुत जरूरी है। एक महिला सिर्फ मां नही होती इसके साथ उसकी एक अलग पहचान होती है। लेकिन बच्चो की जिम्मेदारी सिर्फ मां की है ये सोचकर महिलाएं अपनी इच्छा और अपने सपने पर ध्यान नहीं दे पाती।
कुछ ऐसी चीजे जो मां की जिम्मेदारी मां के साथ पिता की भी जिम्मेदारी होती है।
•बच्चे का डाइट कैसा हो , बच्चो ने क्या खाना चाहिए।
•बच्चे की पढ़ाई का ध्यान रखन, स्कूल जाकर बच्चे की प्रोग्रेस के बारे में पता करना।
•बच्चे के बीमार होने पर मां बाप दोनो ने ध्यान देना बहुत जरूरी है।
•मां के मौजूद न होने पर पिता ने बच्चो के खाने पीने का ध्यान रखना चाहिए।
•अगर बच्चा अकेला महसूस करता है तो बच्चे को समझना उससे बात करना।
•बच्चा गलत राह पर चला गया हो तो मां को जिम्मेदार ठहराने की बजाय माता पिता दोनो ने इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
पिता का काम सिर्फ बच्चो के लिए पैसे कमाना ही नही बल्कि बच्चो की जिम्मेदारी लेना और उनकी देख भाल करना भी होता है ये ध्यान रखना चाहिए।
Disclaimer: यह सार्वजनिक रूप से एकत्रित जानकारी है। यदि आपको किसी विशिष्ट सलाह की आवश्यकता है तो कृपया डॉक्टर से परामर्श करें।