"घर के काम महिलाओं की जिम्मेदारी है।" ये हम सालो से सुनते आए है। चाहे खाना बनाना हो या घर की साफ सफाई बचपन से लड़कियों को ही इन सब की जिम्मेदारी दी जाती है। अगर महिलाएं घर के काम करने से मना करे तो उन्हें समाज के खास कर घरवालों के ताने सुनने पड़ते है।
घर की देख भाल की जिम्मेदारी अगर पुरुष अपने ऊपर ले तो उनका मजाक बनाया जाता है। आज की महिलाएं घर संभालने के साथ साथ पैसे कमाने पर विश्वास रखती है। तो जब जिम्मेदारियां बढ़ जाए तो जरूरी है की घर के काम भी बाटी जाए। अगर एक पिता, पती, या भाई घर के कामों में मदद करे तो शायद महिलाओं की जिंदगी और सरल हो जाएगी।
घर के काम सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं!
• बचपन से बच्चो को सीखना चाहिए की घर की साफ सफाई ये घर में रहने वाले हर एक इंसान की होती है।
• लडको को भी खाना बनाना सीखना चाहिए, उनको ये सिख देना की सिर्फ महिलाएं खाना बनाती है ये गलत है।
• अगर कोई महिला वर्किंग है और वो पूरा दिन घर का ध्यान नहीं रख सके तो उसे कामचोर कहने से अच्छे उसकी मदद करना चाहिए।
• बच्चो को संभालने की जिम्मेदारी, माता पिता तथा सास ससुर की देख भाल करना ये महिला और पुरुष दोनो का काम होता है।
•अगर पुरुष घर से काम करते है और महिला ऑफिस वर्क करती है तो इसे पुरुष की कमजोरी नहीं समझनी चाहिए। एक पुरुष घर की जिम्मेदारी ले तो बुरा मानना उसी तरह गलत है जिस तरह घर के काम महिलाओं को जिम्मेदारी समझा जाता है।
• सिर्फ पैसा कमाना ही जिम्मेदारी नहीं होती, अपने घर का खयाल रखना,घर वालो का खयाल रखना सबकी जिम्मेदारी होती है।
• अगर कोई महिला जॉब या बिजनेस के कारण घर के काम करने के लिया समय नहीं निकाल पाती और कोई काम वाली बाई रखती है तो उनकी परिस्थिति को समझना चाहिए।
जमाना बदल चुका है और महिलाएं अपनी एक अलग इमेज बनना चाहती है। वो घर खर्च में हाथ बटाना चाहती है,कामयाब होना चाहती है। जिस तरह पुरुष अपने परिवार की जिम्मेदारियों लेते है उसी तरह औरतें भी समझती है की महंगाई के जमाने में काम करना कितना जरूरी है।
जिम्मेदारी समान होनी चाहिए चाहे वो स्त्री हो या पुरुष, पर समाज महिलाओं की आजादी पर सवाल उठाता है,उन्हें सिर्फ घर के कामों में व्यस्त रहना चाहिए ये मानता है।एक महिला जब जमाने के साथ बदल रही ताकि वो भी एक पुरुष को मदद कर सके तो फिर ये समाज की भी जिम्मेदारी है की घर के काम की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर लादना बंद करे।