School Reopening During Corona : हाल ही में DDMA ने दिल्ली सरकार को रिपोर्ट भेज कर स्कूल खोलने की बात कही है।सिर्फ दिल्ली ही नहीं अन्य कई राज्य जैसे तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में स्कूल खोले जाने के निर्णय लिए गए हैं।कोरोना की दूसरी लहार के बाद वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या भले ही बढ़ रही हो लेकिन कोरोना का संक्रमण अभी भी रुका नहीं है।ऐसे में कई राज्य सरकारों द्वारा स्कूल खोलने का फैसला किस हद तक सही है ये कहना मुश्किल है। आईये जाने कोरोना में स्कूल खोलने चाहिए या नहीं -
कोरोना के माहौल में क्या स्कूल खोलना रहेगा सही ?
कोरोना संकट की वजह से स्कूलों को बंद हुए करीब-करीब 1.5 साल होने को है। बीच में कुछ राज्यों में स्कूलों को खोला तो गया, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर फिर से बंद कर दिया गया।स्कूलों को फिर से खोला जाना चाहिए या नहीं, इसको लेकर टीचर से लेकरर पैरंट्स तक, सबकी अपनी जायज चिंताएं हैं। कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने ये निर्णय लिया ,पर इसका असर हमारे युवा-वर्ग में साफ़ देखने को मिल रहा है।एंग्जाइटी और डिप्रेशन समेत स्टूडेंट्स पर सोशल आइसोलेशन का गहरा प्रभाव पड़ा है।
बच्चे और माता-पिता को चुकानी पड़ रही कीमत
डिस्टेंस लर्निंग की लागत गरीब और कम आय वाले परिवारों के बच्चों के लिए अधिक है। यूनिसेफ की रिमोट लर्निंग रीचैबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण और अर्बन परिवारों को मिलाने के बाद भारत में केवल 24% परिवारों के पास इंटनेट की सुविधा उपलब्ध है। इसलिए, बिना इंटरनेट के घरों में बच्चों के लिए पढ़ाई करना किसी चैलेंज से काम नहीं दिख रहा।
अभी भी खतरा टला नहीं
अगर अभी नहीं तो कब यह बड़ा सवाल है क्योंकि इतना तो साफ है कि कोरोना अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ हैं।ऐसे में स्कूल और कॉलेजों को खोल देने से खतरा बढ़ने की पूरी पूरी गुंजाईश है। बहरहाल यूनिवर्सल लेवल पर फुल वैक्सीनेशन की संभावना 2022 के मध्य से आखिरी तक है।तो क्या बच्चों की शिक्षा का नुकसान एक और साल उठाया जा सकता है ? ऐसे कई सवाल हैं जिनसे लगातार सरकार को जूझना पड़ रहा है।