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क्या सिर्फ़ जवान औरतें ही रेलेवेंट हैं?

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Swati Bundela
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जवान औरतें ही रेलेवेंट
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1) समाज की गलत सोच


आज भी हमारे समाज में एजिंग से इतनी एलर्जी क्यों है? अक्सर हम देखते हैं कि लोग सेलिब्रिटीज के इंस्टाग्राम पोस्ट पर जाकर कमेंट करते हैं," वाह! इस उम्र में भी आप कितनी यंग दिखती हैं, आपको फिल्म लाइन छोड़कर इतने साल हो गए लेकिन आपकी उम्र 1 दिन से भी बड़ी हुई नहीं लगती"। यह सब कमेंट करके हम आखिर यह कहना चाहते हैं कि औरतों का रेलीवेंस सिर्फ़ तब तक है जब तक की वें जवान दिखती हैं। ऐसा क्यों?
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2) एजिंग नेचुरल प्रोसेस है जवान औरतें ही रेलेवेंट


एजिंग हमारे शरीर की एक नेचुरल प्रक्रिया है। स्वाभाविक है की बढ़ती उम्र के साथ-साथ हमारे चेहरे पर झुर्रियां आएंगी, हमारे बाल सफेद होंगे, हमारी मांस पेशियां ढीली पड़ जाएंगी। यह हर इंसान के साथ होता है। जब हम किसी इंसान को यह कहते हैं कि आप अपनी उम्र से छोटे दिखते हैं तो हम बेसिकली उन्हीं की उम्र के दूसरे लोगों से यह कह रहे हैं कि आप शायद अपने शरीर के साथ कुछ ठीक नहीं कर रहे, जिसके कारण आपकी मांसपेशियां ढीली पड़ रही है या आपके बाल सफेद पड़ रहे हैं।
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3) एजिंग पर कमेंट्स का असर


खास करके औरतों के लिए जिनको समाज ने एक बहुत बड़ा हउआ बना रखा है। इसके चलते बहुत-सी औरतों का कॉन्फिडेंस चला जाता है। उनका सेल्फ रिस्पेक्ट कम हो जाता है। वें अपने आप को हीन भावनाओं से देखने लगती हैं। सोसाइटी हमें सिखाती है कि जवान दिखने का मतलब है खूबसूरत दिखना और खूबसूरत दिखने का मतलब है रेलीवेंट होना। यानी जब आप बूढ़े हो जाते हैं तब आप इर्रेलेवेंट हो जाते हैं। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है ?
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4) सेलिब्रिटीज की सीख


आशा पारेख ,
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नफ़ीसा अली ये कुछ औरतें ऐसी हैं जिन्होंने हमें यह बताया है कि उम्र का खूबसूरती से, जिंदगी के किसी भी मोड़ पर कोई वास्ता नहीं है। कुछ ही दिन पहले हमने पढ़ा था कि वहीदा रहमान जी ने 81 साल की उम्र में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी सीखी। सुरेखा सीकरी जी ने 74 साल की उम्र में एक्टिंग के लिए नेशनल अवार्ड जीता। 85 साल की उम्र में जूडी डेंच ने रिकॉर्ड बनाया यूके वोग की सबसे उम्रदराज कवर गर्ल होने का। जवान औरतें ही रेलेवेंट
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5) एजिंग को खुशी से अपनाए


इन सभी औरतों ने अपने सफेद बालों, अपनी झुर्रियों को अपनाया है। इन्हें अपनी पहचान का एक अमूल्य हिस्सा बनाया है और हमें यह बताया है कि जिंदगी में जरूरी है जज्बा होना। जिंदगी को जीने की चाह रखना वो भी अपनी शर्तों पर ना कि सिर्फ़ खूबसूरत दिखना या फिर अपनी उम्र से छोटा दिखना। अगर आप अपनी उम्र से छोटे नहीं दिखते तो आप खूबसूरत या रिलीवेंट नहीं है, इस सोच को बदलने की सख्त जरूरत है। हर इंसान को रुक कर 1 मिनट यह सोचना चाहिए कि आखिर उसके जीवन में इंपॉर्टेंट क्या है? खूबसूरत दिखना या स्वस्थ रहना? जिंदगी को अपने टर्म्स, अपने हिसाब से जीना या फिर सोसाइटी के हिसाब से जीना? अपने बुढ़ापे से सिर्फ़ इसलिए नफरत करना क्योंकि उसने हमें सफेद बाल या झुर्रियां दी या फिर हम उससे प्यार करें क्योंकि उसने हमें एक्सपीरियंस दिया और आज हम जहां हैं उस मुकाम तक हमें पहुंचाया है।
सोसाइटी
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