कोरोना के चलते कुछ लोगो को घर पर रहना पड़ा पर तो किसो को बाहर जाकर काम भी करना पड़ा। जो लोग घर से दूर भागते थे उन्हें घर पर रह कर परिवार की कीमत समझ आई । हर किसी को लॉकडाउन और कोविड ने कुछ न कुछ सीख दी। "मेरे जीवन में ज़्यादा कुछ बदलाव नहीं आएगा ,अब तो घर बैठे ऐश है ऐश, खाओ पियो और सो जाओ। " यह कहने वालो को समय की कीमत समझ आई आयी।
पापा के द्वारा मिली सीख
पिता को घर का बोझ उठाने वाला कहा जाता है। सुबह से लेकर रात तक काम करते रहते है इसलिए उनसे घुलने मिलने का कम समय मिलता है पर जब उनके साथ पूरा समय व्यतीत किया तो उनकी जीवन में अहमियत को जाना। वो उनका यूँ हस्ते मुस्काते रहना ,नुक्सान की बात तक न करना , एक पल भी न घबराना बस मुस्काते जाना जीते जाना इस ने पिता का जीवन में होने से क्या फर्क पड़ता है बता दिया।
माँ के द्वारा मिली सीख
शादी से पहले और शादी के बाद औरत जीवन भर बिना कोई शिकायत किए काम करती रहती है। ज़्यादातर लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते कि माँ घर पर बिना रुके काम करती है। पर परिवर्तन जीवन का नियम है कोविड के दौरान माँ ने ही हिम्मत दी तो उनकी कीमत व्यक्ति को पता चली। व्यक्ति जब टूटता है तो बाहर किसी से सहारा ढूंढ़ता है और कोविड के दौरान वो उन्हें माँ से मिला।
हर नए काम की शुरआत करना
हम अपने रोज़ के रूटीन में इतना कम्फर्टेबल हो गए कि पता नहीं चला व्यक्ति कब समय की अहमियत को भूल गया। जब कई लोगों के रोज़गार छूट गए तब हमें समय की अहमियत समझ में आई। वो आराम, सुखदायक जीवन जीते जीते सिर्फ समय की बर्बादी कर रहे थे। लोग कल पर निर्भर रह रहे थे परंतु कोविड ने उन्हें आज की और अभी के पल की अहमियत समझायी।