डायवोर्स ली हुई महिला का किसी और के साथ रिलेशनशिप में आना गलत समझा जाता है और समाज महिलाओं के जीवन का उद्देश्य सिर्फ शादी समझता है। यदि एक महिला शादी न करना चाहे तो उसे समाज ठीक नही समझता और इस नतीजे पर पहुंचता है कि जरूर लड़की में खराबी रही होगी। महिलाओं के हर फैसले को लोग जज करना जरूरी समझते हैं।
अगर एक महिला शादी के बाद खुश नहीं है और वो डाइवोर्स लेना चाहे तो ये उसका निजी फैसला है। उसी तरह जब एक महिला डायवोर्स होने के बाद किसी और पुरुष के साथ रिलेशनशिप में रहे तो इसमें गलती क्या हैं?
क्या डायवोर्स ली हुई महिला का किसी और के साथ रिलेशनशिप में आना गलत है?
हम अक्सर देखते है कि ज्यादातर पुरुष अपनी पत्नी के मरने के बाद या डायवोर्स होने के बाद दूसरी शादी करते हैं। चाहे वो अपने बच्चो के लिए या खुद के लिए, तब किसी को कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन जब एक महिला डायवोर्स होने के बाद किसी और के साथ रिलेशनशिप में रहना चाहे तो उस महिला के चरित्र पर सवाल उठता है।
डायवोर्स लेने के बाद पति पत्नी में कोई रिश्ता नहीं होता। फिर एक महिला डायवोर्स के बाद चाहे शादी करे या किसी के साथ रिलेशनशिप में रहे ये उसका निजी मामला होता है। महिला के इस निर्णय को जज करना बिलकुल गलत हैं।
डायवोर्स के बाद महिला खुद के फैसले बिना किसी के दखल अंदाजी से ले सकती है। चाहे वो उसके रिलेशनशिप का फैसला हो या उसके रहने का तरीका, वो हर फैसला खुद लेने के लिए आजाद होती है। जिस तरह एक पुरुष आजाद है अपने जीवन के फैसले खुद लेने के लिए उसी तरह महिलाएं भी सक्षम है अपने फैसले लेने के लिए।
अगर समाज किसी महिला को उसके ऐसे फैसले पर गलत बताता है तो ये गलत है। हर महिला अपना पार्टनर खुद चुन सकती हैं, उनसे ये हक कोई छीन नही सकता। हमारे समाज ने ये स्वीकार करना बहुत जरूरी है कि डायवोर्स के बाद किसी भी महिला का जीवन खतम नही होता। एक नया रिलेशन महिला के लिए नई शुरुवात भी हो सकता है।