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मर्द हमेशा ताकतवर और मजबूत रहे हैं। इसी वजह से समाज में हमेशा घर की बागदौड भी मर्दो के हाँथ में ही रही है। औरतों को हमेशा मर्दों के हिसाब से चलाने की ही सोचा जाता है। समाज हमेशा से महिलाओं को दबाता आया है फिर भी महिलाओं ने हौसला नहीं छोड़ा और अपनी बराबरी के हक़ के लिए लड़ती रहीं और आज महिलाएं मर्दों की बराबरी पर हैं।महिलाएं काम करती हैं घर चलाती हैं और बच्चे भी पालती हैं। कोई भी मर्द ये सारे काम खुद अकेले नहीं कर सकता है। आज हम बात करेंगे कि महिलाएं क्यों घर अच्छे से चला सकतीं हैं -
ऐसा कहा जरूर जाता है कि महिलाएं शारीरिक रूप से कमज़ोर होती हैं पर ऐसा है नहीं महिलाएं हमेशा से ज़यादा दर्द सेहन करती आयी हैं शायद इतना मर्द कभी न कर सकें। महिलाएं जब एक बच्चे को जन्म देती हैं तो उनकी जान निकल जाती है इतना ज़्यादा दर्द होता है। वो 9 महीने तक अपने अंदर बच्चे को रखतीं हैं और उस दौरान भी सारा काम सम्हालती हैं ।
वो सही तरीके से सही फैसला ले पाती हैं। महिलाओं घर इसलिए भी बेहतर तरीके से चला सकती हैं क्योंकि महिलाओं को पता होता है कि घर में किस चीज़ की कितनी ज़रूरत है चाहे वो घर का राशन हो या बच्चे की कोई ज़रूरत हो। महिलाएं अक्सर जो पैसे बचाकर रखती हैं वो उन के घर के मुश्किल के वक़्त में काम आते हैं। महिलाओं को कम आंका जरूर जाता है पर वो होती नहीं हैं।
महिलाएं मर्दों के मुकाबले पैसों को अच्छे से मैनेज कर पाती हैं चाहे वो पैसे बचाना हो या फिर खर्च करना। महिलाओं को अंदाजा रहता हैं हमेशा कि कब और कितना खर्चा किस चीज़ पर करना हैं। अधिकतर घर जो मर्द चलाते हैं उस में वो हमेशा महिलाओं से ही सलाह लेते हैं।
ऐसा कहा जरूर जाता है कि महिलाएं शारीरिक रूप से कमज़ोर होती हैं पर ऐसा है नहीं महिलाएं हमेशा से ज़यादा दर्द सेहन करती आयी हैं शायद इतना मर्द कभी न कर सकें। महिलाएं जब एक बच्चे को जन्म देती हैं तो उनकी जान निकल जाती है इतना ज़्यादा दर्द होता है। वो 9 महीने तक अपने अंदर बच्चे को रखतीं हैं और उस दौरान भी सारा काम सम्हालती हैं ।
महिलाएं शारीरिक रूप के साथ साथ भावनात्मक रूप से भी मजबूत होती हैं
वो सही तरीके से सही फैसला ले पाती हैं। महिलाओं घर इसलिए भी बेहतर तरीके से चला सकती हैं क्योंकि महिलाओं को पता होता है कि घर में किस चीज़ की कितनी ज़रूरत है चाहे वो घर का राशन हो या बच्चे की कोई ज़रूरत हो। महिलाएं अक्सर जो पैसे बचाकर रखती हैं वो उन के घर के मुश्किल के वक़्त में काम आते हैं। महिलाओं को कम आंका जरूर जाता है पर वो होती नहीं हैं।
महिलाएं पैसों का संतुलन अच्छे से करती हैं
महिलाएं मर्दों के मुकाबले पैसों को अच्छे से मैनेज कर पाती हैं चाहे वो पैसे बचाना हो या फिर खर्च करना। महिलाओं को अंदाजा रहता हैं हमेशा कि कब और कितना खर्चा किस चीज़ पर करना हैं। अधिकतर घर जो मर्द चलाते हैं उस में वो हमेशा महिलाओं से ही सलाह लेते हैं।