Advertisment

Man Forces Minor To Perform Oral Sex: आदमी ने नाबालिग को 20 रुपये में ओरल सेक्स करने के लिए मजबूर किया, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपराध को 'कम गंभीर' बताते हुए 'सजा कम की' 

author-image
Swati Bundela
New Update



Advertisment

Man Forces Minor To Perform Oral Sex: आदमी ने नाबालिग को 20 रुपये में ओरल सेक्स करने के लिए मजबूर किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपराध को 'कम गंभीर' बताते हुए अपराधी की 'सजा कम की', 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया। जस्टिस अनिल कुमार ओझा की अध्यक्षता वाली सिंगल बेंच इस बात की जांच कर रही थी। 

अपराधी कुशवाहा पर 20 रुपए के बदले नाबालिग  के घर जाने और बच्चों को ओरल सेक्स करने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया था। जब बच्चा घर लौटा तो उसके परिवार ने पूछा कि वह पैसे कहां से लाया, जबरदस्ती करने पर उस बच्चे ने सच सुनाया।

कोर्ट ने क्या कहा? 

Advertisment

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक बच्चे को ओरल सेक्स करने के लिए फोर्स करने वाले दोषी की सजा को कम गंभीर बताते हुए 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि, बच्चे के मुंह में पेनिस डालना पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट की श्रेणी में आता है जो प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट (POCSO) की धारा 4 के तहत दंडनीय है न कि एक्ट की धारा 6 के तहत। 

जस्टिस अनिल कुमार ओझा की अध्यक्षता वाली सिंगल बेंच इस बात की जांच कर रही थी कि क्या पीड़ित जो की एक नाबालिग है, उसके मुंह में पेनिस डालना और उसमें सीमेन का डिस्चार्ज करना धारा 5/6 या धारा 9/10 पॉस्को एक्ट के दायरे में आएगा। जानिए इस केस के बारे में। 

अपराधी ने कोर्ट में क्या कहा? 

Advertisment

अदालत सोनू कुशवाहा द्वारा इंडियन पीनल कोड की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा), साथ ही POCSO एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी ठहराए जाने के एक स्पेशल सेशन के फैसले के खिलाफ प्ली पर सुनवाई कर रहे थे।अदालत ने उसे अपराध के लिए 10 साल कैद की सजा सुनाई थी।  

यह स्पष्ट है कि अपीलकर्ता द्वारा किया गया अपराध न तो POCSO एक्ट की धारा 5/6 के अंतर्गत आता है और न ही POCSO एक्ट की धारा 9 (M) के अंतर्गत आता है क्योंकि इस प्रेजेंट केस में पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट है जैसे अपराधी ने पीड़ित के मुंह में अपना पेनिस डाला था। पेनिस को मुंह में डालना गंभीर सेक्सुअल असॉल्ट या सेक्सुअल असॉल्ट की श्रेणी में नहीं आता है। यह पेनेट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट की श्रेणी में आता है जो पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दंडनीय है। 



न्यूज़
Advertisment