हमारे समाज में आज भी मेंस्ट्रुएशन को शर्मानक माना जाता है ,जिसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। लेकिन क्या आपको पता है, इसी भारतीय समाज में एक ऐसी भी जगह है जो मेंस्ट्रुएशन को एक त्योहार की तरह सेलिब्रेट करती हैं। ओडिशा में मेंस्ट्रुएशन के टैबू को ब्रेक करने के लिए एक अनोखा त्योहार मनाया जाता हैं (Menstruation festival in Odisha)।
ओडिशा प्राचीन मंदिरों और खूबसूरत त्योहारों की भूमि है, जो अपने कल्चर, ट्रडिशन और हेरिटेज के लिए जानी जाती हैं। ओडिशा में एक ऐसा त्यौहार मनाया जाता है जो नारीत्व (womenhood) को सेलिब्रेट करता हैं। इस त्योहार को रज पर्व या राजा पर्ब के नाम से जाना जाता हैं। ओडिशा के लोग चार दिनों तक इस त्योहार को मनाते है ,जिसमे लड़की के womenhood की ओर पहला कदम यानि मेंस्ट्रुएशन को सेलिब्रेट किया जाता हैं।
राजा पर्ब क्यों मनाया जाता हैं?
राजा शब्द संस्कृत शब्द राजस से आया है, जिसका अर्थ है मासिक धर्म (menstruation), और मासिक धर्म करने वाली महिला को रजस्वला के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, धरती माता , त्योहार के पहले तीन दिनों में मेंस्ट्रुएशन से गुज़रती है। इसमें चौथा दिन धरती के स्नान का दिन होता है।
राजा पर्ब कैसे मनाया जाता हैं?
यह पर्व हर साल 14 जून से शुरू होता हैं। इस त्यौहार का पहले दिन की शुरुवात तैयारी से होती है, जब रसोई सहित पूरे घर को अच्छी तरह से साफ़ किया जाता है। तीन दिनों तक पत्थर पर मसाले पीसे जाते हैं। महिलाएं लाल रंग के सूंदर कपड़े और ज्वैलरी पहन कर तैयार होती हैं।
त्योहार का पहला दिन ,पहीली रजो का होता है ,दूसरे को मिथुन संक्रांति (बारिश की शुरुआत का दिन) कहा जाता है,तीसरे दिन को बासी रजा के रूप में जाना जाता है ,और आखिरी और चौथे दिन को वासुमति स्नान कहा जाता है।
चार दिन, महिलाओं को सिलबट्टे पर पीसी हुई हल्दी के पेस्ट से नहलाया जाता हैं। फिर, उन्हें ताज़े फूलों और ज्वेलरी के साथ सजाया जाता है। बाद में, भगवान जगन्नाथ की पत्नी, भूदेवी को नहलाया जाता है, जो इस फेस्टिवल को पूरा करती हैं।
धरती माता के मेंस्ट्रुएशन के इस त्योहार से हम ये समझ सकते है कि भारत में ,कई स्थानों पर प्राचीन समय से ही मेंस्ट्रुएशन के प्रति समाज में जागरूकता लाने की कोशिश की जा रही हैं।(Menstruation festival in Odisha)