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80 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाओं का कोविड में बढ़ा वर्कलोड: शोध

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Swati Bundela
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कोविड के इस वर्क फ्रॉम होम माहौल में महिलाओं को जहाँ घर और करियर दोनों के काम समभालने पर रहे हैं वहीँ एक नए शोध में ये बात समाने आयी है की देश में 80 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाओं का वर्कलोड बढ़ चुका है। इस समय में ना सिर्फ महिलाओं के वर्कलोड में इजाफा देखा गया है बल्कि उस हिसाब से उनकी सैलरी में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई है। कई महिलाओं में वर्क फ्रॉम होम के कारण बेचैनी और तनाव के केसेस भी बढ़ गए हैं।

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1. कोविड के समय में जेंडर इक्वलिटी में बहुत पीछे है एम्प्लॉयमेंट सेक्टर



शोध बताते हैं की हर 10 में से 6 (60 प्रतिशत) महिलाएं इस महामारी के बाद अपनी जॉब लाइफ को लेकर पहले से भी ज़्यादा निराशावादी हो चुकी है। ये आंकड़ा ग्लोबल स्टेटिस्टिक्स के 50 प्रतिशत से भी ज़्यादा है। जहाँ महामारी से पहले भी अर्बन सेक्टर में फीमेल एम्प्लॉयमेंट में कमी देखी गयी थी कोविड के समय ये कमी में भी बढ़ोतरी हुई है। इसका मतलब ये है की महिलाओं के लिए जॉब ऑप्शंस भी कम हो गए हैं और जहाँ उनकी लिए जॉब है वहां उनको अंडरपेड रखा जा रहा है।
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2. घर और करियर दोनों में बढ़ा है महिलाओं का वर्कलोड



देश में हुए एक सर्वे के अनुसार 80 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाओं के वर्कलोड में बढ़ोतरी हुई है और वहीँ 78 प्रतिशत महिलाओं ने ये बताया है की कोविड के इस समय में उनके घर के काम भी बढ़ गए हैं। ऐसे में महिलाओं में तनाव और चिंता के कारण बहुत सी बिमारियों के केसेस भी सामने आ रहें हैं। कई महिलाओं ने ये बात भी मानी है की उनकी कंपनियां उनके मानसिक स्वास्थ्य के प्रीति भी समर्पित है।
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3. लेबर फाॅर्स पार्टिसिपेशन में देखी गयी है कमी



शोध ये भी बताते हैं की महिलाओं के वर्क
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प्रोडक्टिविटी में भी बहुत डिक्लाइन देखा गया है। देश में 50 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाओं का ये मानना है की उनके करियर का प्रोग्रेस उनके प्लान के हिसाब से और उनके मेल सहकर्मियों के हिसाब से बहुत पीछे है। देश में एक तिहाई से भी कम महिलाओं को ये भरोसा है की उनकी कंपनी उनके हित के प्रति सजग है।

4 महिलाओं का कोविड में वर्कलोड बढ़ने से दिखी नौकरी छोड़ने की टेन्डेन्सी



देश में जहाँ वर्कलोड में इजाफा देखा गया है वहीँ इसके हिसाब से सैलरी ना बढ़ने के कारण महिलाओं में निराशावादी भावना बढ़ गयी है। जहाँ कंपनियां स्वास्थ्य के प्रति सजग है पर फिनांशल लेवल पे ज़्यादा सपोर्टिव नहीं है इसलिए महिलाओं में नौकरी छोड़ने की टेन्डेन्सी बढ़ी है।
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