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मन में भी कई सवाल होंगे इस तरह के। आईये जानते हैं ग्रीन टी के बारे में कुछ मिथ्स।
ग्रीन टी के बारे में मिथ्स, 5 बातें -
दिन में 2 से 3 कप ग्रीन टी आपके लिए बहुत है। और ऐसा नहीं होता है की जितनी ग्रीन टी पीते हैं उतने पतले होते हैं। यह एक मिथ है। ज्यादा ग्रीन टी आपको नुकसान पंहुचा सकती है। आपको सिरदर्द। डायरिया , घबराहट , डिप्रेशन और उलटी की प्रॉब्लम हो सकती है।
ग्रीन टी में भी ब्लैक टी जितने जी एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। फेरमेंटशन और ऑक्सीडेशन की प्रोसेस की वजह से इनका रंगा कला हो जाता है। ग्रीन टी जयदा पॉपुलर है इसलिए यह मिथ बन गया है। दोनों में ही फायदेमंद एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाये जाते हैं।
हमेशा ग्रीन टी की पत्ती ही ज्यादा फायदा देती हैं टी बैग नहीं। टी बैग में पत्ती टूटी हुई होती है जो शरीर को ज़रूरी नुट्रिएंट्स नहीं दे पाती। और टी बैग में भी कोटिंग होती है जिससे कैंसर तक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए आप हमेशा चाय पत्ती से ही चाय बनाएं टी बैग से नहीं।
यह भी गलत धारणा है लोगों में की ग्रीन टी में कैफीन नहीं होता। ग्रीन टी में भी उतना ही कैफीन होता है। आप ग्रीन टी खरीद ते वक़्त उसके लेबल को अच्छे से पढ़ें।
ग्रीन टी आपका मेटाबोलिज्म बढ़ाने में मदद ज़रूर करता है लेकिन मेटाबोलिज्म का बढ़ना सबकी बॉडी पर निर्भर करता है। सभी लोगों के साथ ऐसा नहीं होता। जिनका मेटाबोलिज्म थोड़े दिनों में ऊपर नीचे हुआ होता है उनको मदद करता है लेकिन सबके साथ ऐसा नहीं होता।
ग्रीन टी के बारे में मिथ्स, 5 बातें -
1 ) ज्यादा ग्रीन टी पीने से पतले होते हैं -
दिन में 2 से 3 कप ग्रीन टी आपके लिए बहुत है। और ऐसा नहीं होता है की जितनी ग्रीन टी पीते हैं उतने पतले होते हैं। यह एक मिथ है। ज्यादा ग्रीन टी आपको नुकसान पंहुचा सकती है। आपको सिरदर्द। डायरिया , घबराहट , डिप्रेशन और उलटी की प्रॉब्लम हो सकती है।
2 ) ग्रीन टी में ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं -
ग्रीन टी में भी ब्लैक टी जितने जी एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। फेरमेंटशन और ऑक्सीडेशन की प्रोसेस की वजह से इनका रंगा कला हो जाता है। ग्रीन टी जयदा पॉपुलर है इसलिए यह मिथ बन गया है। दोनों में ही फायदेमंद एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाये जाते हैं।
3 ) टी बैग वाली ग्रीन टी भी उतनी फायदेमंद -
हमेशा ग्रीन टी की पत्ती ही ज्यादा फायदा देती हैं टी बैग नहीं। टी बैग में पत्ती टूटी हुई होती है जो शरीर को ज़रूरी नुट्रिएंट्स नहीं दे पाती। और टी बैग में भी कोटिंग होती है जिससे कैंसर तक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए आप हमेशा चाय पत्ती से ही चाय बनाएं टी बैग से नहीं।
4 ) ग्रीन टी में कैफीन नहीं होता -
यह भी गलत धारणा है लोगों में की ग्रीन टी में कैफीन नहीं होता। ग्रीन टी में भी उतना ही कैफीन होता है। आप ग्रीन टी खरीद ते वक़्त उसके लेबल को अच्छे से पढ़ें।
5 ) ग्रीन टी मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है -
ग्रीन टी आपका मेटाबोलिज्म बढ़ाने में मदद ज़रूर करता है लेकिन मेटाबोलिज्म का बढ़ना सबकी बॉडी पर निर्भर करता है। सभी लोगों के साथ ऐसा नहीं होता। जिनका मेटाबोलिज्म थोड़े दिनों में ऊपर नीचे हुआ होता है उनको मदद करता है लेकिन सबके साथ ऐसा नहीं होता।