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पीरियड्स को लेकर स्टिग्मा, पूर्वाधारणाएं ? लेकिन क्यों ?

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Swati Bundela
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पीरियड्स को मासिक धर्म, माहवारी, मेंस्ट्रुएशन आदि भी कहते हैं। भारत एक उन्नत एवं प्रगतिशील देश है परंतु अभी भी लोगों के मन में पीरियड्स को लेकर सोशल स्टिग्मा, प्रेजुडिसेज और अंधविश्वास है। मेरा मानना है कि पीरियड्स उतनी ही प्राकृतिक प्रक्रिया है जितना कि सांस लेना या भूख लगना। इस समय महिलाओं को मंदिर व किचन में प्रवेश न करने देना, उन्हें अपवित्र समझना, आदि प्रतिबंध लगाना हमारी पिछड़ी सोच को दर्शाता है।



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1) पीरियड्स नॉर्मल है

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हम सबका ये एक्सेप्ट करना ज़रूरी है कि पीरियड्स एक नॉर्मल और नेचुरल प्रोसेस है। ये कोई इलनेस या बीमारी नहीं है। और नहीं ये ऐसी चीज़ है जिससे हमें शर्म आनी चाहिए। पीरियड्स डर्टी नहीं है। गलत तो हमारी सोच है जिसमें बदलाव की ज़रूरत है। 


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2) खुद रिसर्च करें



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पीरियड्स हमारी लाइफ का एक बहुत इंपॉर्टेंट पार्ट है। वो सिर्फ़ इसलिए नहीं क्योंकि हम हर महीने ब्लीड करते हैं बल्कि इसलिए भी क्योंकि ये हमारा अधिकार है कि हमें पीरियड्स के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए। इसलिए खुद ही पीरियड्स पर अलग - अलग किताबें पढ़ें, विडियोज या अन्य चीज़ों से जानकारी हासिल करने की कोशिश करें। आप दूसरी महिलाओं से भी बात कर सकती हैं क्योंकि हर महिला का पीरियड एक्सपीरियंस अलग होता है।





3) खुल कर बात करना ज़रूरी





पीरियड्स को लेकर अगर स्टिग्मा मिटाना है तो इसके बारे में खुल कर बात करना ज़रूरी है। सबसे पहले तो हमें पीरियड्स के लिए कोड वर्ड्स या निकनेम्स का इस्तेमाल बंद करना होगा। हमें अभी भी पैड्स को ब्लैक पॉलीथिन या अखबार में लपेटने की कोई ज़रूरत नहीं है। सभी जेंडर को इसके बारे में अवेयरनेस होनी चाहिए।





4) जिम्मेदारी लें





हमें पीरियड्स को लेकर हमारा नजरिया बदलना होगा। हम जिस तरीके से पीरियड्स को देखते हैं, उसमें बदलाव की ज़रूरत है। पूरे सिस्टम को बदलना होगा। ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलानी होगी। और इसी सोच को बदलने की जिम्मेदारी सिर्फ़ उनकी नहीं है जो पीरियड्स में होते हैं। हम सभी को मिलकर इस प्रॉब्लम को सॉल्व करना होगा। सबसे ज़रूरी है कि पीरियड एजुकेशन को स्कूल करिकुलम का हिस्सा बनाया जाए।





5) रिस्ट्रिक्शंस न लगाएं





पीरियड्स के दिन काफ़ी टफ हो सकते हैं। पीरियड्स में मूड स्विंग्स होना, पेट में दर्द होना, पूरे शरीर में दर्द होना आदि नॉर्मल है। लेकिन इसकी वजह से आप अपनी लड़की पर रिस्टिक्शंस न लगाएं। उसे स्कूल या खेलने या और कोई काम करने से न रोकें। ऐसे में हमारा यह जानना आवश्यक है कि सभी को पीरियड्स में वैसे ही दर्द नहीं होता। हर लड़की पीरियड्स में अलग महसूस करती है। पीरियड्स की वजह से किसी की लाइफ रुकनी नहीं चाहिए।


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