एक महिला की दो ओवरीज़ / अंडाशय होती हैं। इन ओवरीज़ में छोटे छोटे अंडे होते हैं जो पीरियड के शुरू होते ही बढ़ना चालू हो जाते हैं। इन दोनों ओवरीज़ मेसे कोई एक ओवरी का अंडा बड़ा हो कर ओवरी से बाहर निकल जाता है। ये अंडा फिर मेन के स्पर्म से मिलकर बच्चा दानी में जम जाता है । इसी समय पर आपका प्रेगनेंसी का टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आता है। इस के बाद बच्चा बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
प्रेग्नेंट होने के लिए क्या जरुरी है ?
1. महिला के अंडे का बनना और ओवरी से बाहर निकलना मतलब कि ओव्यूलेशन होना ।
2. गर्भनली का खुला होना जिस से अंडा उस में अच्छे से तैर सके।
3. बच्चा दानी का मजबूत होना ताकि वो बच्चे का वजन झेल सकते।
4. मेन के स्पर्म का ज्यादा मात्रा में होना और उनमे इतनी ताकत होना कि वो वजाइना से गर्भ नली में पहुंच सकें।
इन सब का सही समय और सही तरीके से होने के बाद प्रेग्नेंट होना ओव्यूलेशन के 3 दिन पहले से ओव्यूलेशन के दो से तीन दिन बाद तक संभव होता है। प्रेग्नेंट होने का सबसे सही समय ये वक़्त पीरियड चक्र के 11 से 15 दिन के बीच आता है। इन सबके बाद प्रेग्नेंट होने के लिए सबसे जरुरी होता है कि आपके पीरियड नियमित रूप से हर महीने आते हों।
प्रेग्नेंट होना एक महिला के जीवन का सबसे अनमोल तोहफा होता है।
प्रेग्नेंट होने की प्रक्रिया में जरुरी होता है कि हस्बैंड और वाइफ यानि पति-पत्नी बराबरी से अपना रोल निभाएं। प्रेग्नेंट ना होने में किसी की गलती नहीं होती और इसका किसी को दोष नहीं दिया जा सकता। क्योंकि प्रेगनेंसी एक शारीरिक सिस्टम के सही होने से होती है जो कि जरुरी नहीं इंसानों के हाँथ में हमेशा हो।
इसलिए आप ध्यान रखें कि आप पने पार्टनर पर दबाव ना डालें और दोनों इस प्रक्रिया को अच्छे मन से करें। अपने साथ साथ अपने परिवार पर भी ध्यान दें कि कोई आप पर या आप के पार्टनर पर दबाव तो नहीं डाल रहा है। क्योंकि प्रेगनेंसी हमेशा आप दोनों की आपस में सहमति से होना चाहिए।