बहुत ज़्यादा असर कर चुका है COVID प्रेग्नेंट महिलाओं पर

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Swati Bundela
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एक मेडिकल जर्नल के लिए हुआ है ये स्टडी


ऑफिशल्स ने बताया की ये स्टडी एक मेडिकल जर्नल के लिए की जा रही है। इसमें प्रेग्नेंट और पोस्टपार्टम महिअलों के केस फाटलिटी रेट को स्टडी किया गया जो कोविड के सेकंड वेव में 5.7 प्रतिशत है। ये आकड़ा पहले वेव में सिर्फ 0.75 प्रतिशत था। केस फाटलिटी रेट में चेक किया जाता है की एक पर्टिकुलर डिजीज में टोटल पॉपुलेशन में से कितने लोगों की मृत्यु हुई है।
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सिम्पटोमैटिक केस भी हुए हैं ज़्यादा


इस सेकंड वेव में सिम्पटोमैटिक केसेस में कुल 28.7 प्रतिशत हुआ हैं। ये पिछले वेव में सिर्फ 14.2 प्रतिशत थे। इस डेटा से पता चल रहा है की ये वायरस कितना क्रिटिकल है और लोगों को इससे बचाना ज़रूरी क्यों है। इस डेटा को कोविड की समय में रजिस्टर्ड प्रेग्नेंट और पोस्टपार्टम महिलाओं के थ्रू बनाया गया है।
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मुंबई के एक सेंटर में हुआ है शोध


इस डेटा का एनालिसिस मुंबई के एक इंस्टिट्यूट में कुल 4000 कोविड पॉजिटिव प्रेग्नेंट और पोस्टपार्टम महिलाओं के ऊपर किया गया है। अब इसे जर्नल ऑफ़ गायनेकोलॉजी एंड आब्सटेट्रिक्स में पब्लिश किया जाएगा। डॉक्टर्स का मानना है की इस ड्रास्टिक इनक्रीस का रीज़न अभी तक क्लियर नहीं है।
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डॉक्टर्स ने जताई है चिंता


डॉक्टर्स बता रहे है की इम्यूनाइजेशन में भी सब कुछ बहुत लेट चल रहा है। कोविड के कारण कई प्रेग्नेंट महिलाओं को न्यूमोनिया की शिकायत बढ़ रही है। डॉक्टर्स के मुताबिक अब
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स्तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाओं को जितना जल्दी हो सके वैक्सीन लगवाने की ज़रूरत है ताकि और उनके ज़िन्दगी को नुक्सान ना पहुंचे। फ़िलहाल देश में प्रेग्नेंट महिलाओं को वैक्सीन लेने के लिए हर तरफ उन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है।
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