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रिपोर्ट्स के अनुसार अक्सर सब कुछ प्लान करते -करते जब कपल्स शादी के बाद बच्चे के लिए सोचते हैं तो उनके सामने बहुत सारे सवाल होते हैं जिनके जवाब शायद उन्हें पता नहीं होते। इसलिए प्रेगनेंसी से जुड़े सारे सवालों के जवाब आपको यह मिलेंगे। आज हम आपको बताएँगे की प्रेग्नेंट होने के लिए सबसे सही टाइम कोनसा होता है और इससे जुडी और भी कई दिचस्प बातें गायनेकोलोजिस्ट डॉक्टर सुदेष्णा रे से ।
महिलाओं के यूटरस के आस-पास दो अंगूर के दाने जितनी ओवरीज़ होती हैं और दो फैलोपियन ट्यूब्स। जैसे ही महिलाओं के पीरियड्स स्टार्ट होते हैं, उनकी ओवेरिएस में छोटे-छोटे एग्स बड़े होने स्टार्ट होते हैं। उनमे से किसी एक ओवरी में कोई एग बड़ा हो जायेगा और ओवरी से बहार निकल जायेगा और ट्यूब्स की फिंगर्स में अटैच हो जायेगा, फिर वो स्पर्म के आने का वेट करेगा। अगर स्पेर्म्स पहले ही प्रेजेंट हो तो बेबी तभी फॉर्म हो जाता है और 2 से 3 दिन बाद वो बेबी ट्यूब से बहार आ जाता है। फिर वो बेबी वॉम्ब की लाइनिंग से अटैच हो जाता है और फिर धीरे-धीरे उसकी ग्रोथ होती है। यही वो समय होता है जब आपका प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव होता है।
एग्स का बनना और उनका बाहर निकलना, मेडिकल टर्म्स में इसे ओव्यूलेशन कहते हैं। दूसरा फैक्टर एक ओपन फैलोपियन ट्यूब होती है। तीसरा फैक्टर वॉम्ब की अच्छी लाइनिंग जो बेबी को पकड़ सके। चौथा बड़े स्पेर्म्स का होना और उनका वजाइना से फैलोपियन ट्यूब तक पहुंचना। यह सभी फैक्टर्स मिलकर प्रेग्नेंट होने के लिए ज़रूरी होते हैं। यह कण्डीश या तो ओव्यूलेशन पीरियड के 2 से 3 दिन पहले होती है या फिर ओव्यूलेशन पीरियड के 1 से 2 दिन बाद तक। किसी भी महिला का ओव्युलेटिंग पीरियड होता है पीरियड्स के 11 से 15 दिन बाद तक जहाँ पीरियड साइकिल रेग्युलर हो।
कुछ फिजिकल सिम्पटम्स होते है जैसे की लोअर एब्डोमेन में दर्द और लेग्स में भी पैन होता है। ब्रेस्ट्स बिलकुल फुल हो जाती हैं और बहुत पैन होता है उनको टच करने पर। ओव्यूलेशन के दिनों में सेक्सुअल ड्राइव भी काफी हाई होती है।
सबसे पहले हमें यह जानना होगा की प्रेगनेंसी कैसे होती है ?
महिलाओं के यूटरस के आस-पास दो अंगूर के दाने जितनी ओवरीज़ होती हैं और दो फैलोपियन ट्यूब्स। जैसे ही महिलाओं के पीरियड्स स्टार्ट होते हैं, उनकी ओवेरिएस में छोटे-छोटे एग्स बड़े होने स्टार्ट होते हैं। उनमे से किसी एक ओवरी में कोई एग बड़ा हो जायेगा और ओवरी से बहार निकल जायेगा और ट्यूब्स की फिंगर्स में अटैच हो जायेगा, फिर वो स्पर्म के आने का वेट करेगा। अगर स्पेर्म्स पहले ही प्रेजेंट हो तो बेबी तभी फॉर्म हो जाता है और 2 से 3 दिन बाद वो बेबी ट्यूब से बहार आ जाता है। फिर वो बेबी वॉम्ब की लाइनिंग से अटैच हो जाता है और फिर धीरे-धीरे उसकी ग्रोथ होती है। यही वो समय होता है जब आपका प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव होता है।
प्रेग्नेंट होने के लिए ज़रूरी फैक्टर्स क्या होते हैं ?
एग्स का बनना और उनका बाहर निकलना, मेडिकल टर्म्स में इसे ओव्यूलेशन कहते हैं। दूसरा फैक्टर एक ओपन फैलोपियन ट्यूब होती है। तीसरा फैक्टर वॉम्ब की अच्छी लाइनिंग जो बेबी को पकड़ सके। चौथा बड़े स्पेर्म्स का होना और उनका वजाइना से फैलोपियन ट्यूब तक पहुंचना। यह सभी फैक्टर्स मिलकर प्रेग्नेंट होने के लिए ज़रूरी होते हैं। यह कण्डीश या तो ओव्यूलेशन पीरियड के 2 से 3 दिन पहले होती है या फिर ओव्यूलेशन पीरियड के 1 से 2 दिन बाद तक। किसी भी महिला का ओव्युलेटिंग पीरियड होता है पीरियड्स के 11 से 15 दिन बाद तक जहाँ पीरियड साइकिल रेग्युलर हो।
किसी महिला को कैसे पता चलता है की वो ओव्युलेट कर रही है ?
कुछ फिजिकल सिम्पटम्स होते है जैसे की लोअर एब्डोमेन में दर्द और लेग्स में भी पैन होता है। ब्रेस्ट्स बिलकुल फुल हो जाती हैं और बहुत पैन होता है उनको टच करने पर। ओव्यूलेशन के दिनों में सेक्सुअल ड्राइव भी काफी हाई होती है।