शादी से जुड़े फ़ैसलों में काफ़ी कुछ सोचना-विचारना पड़ता है, ख़ास करके तब जब वो आपकी दूसरी, तीसरी या चौथी शादी हो क्योंकि हर बार पहली बार जितनी उत्सुकता और विश्वास नहीं रह जाता। आपको प्यार के अलावा भी कई ऐसी बातों का ध्यान रखना पड़ता है तो आमतौर पर पहली शादी में नहीं रखना पड़ता। यहाँ हम आपको बताएंगे कि दोबारा शादी करने से पहले कौनसी बातों पर विचार करना ज़रूरी होता है। remarriage me dhyan rakhne wali baate.
1. फ़ैमिली प्रेशर को ना बनायें शादी का कारण
कई बार पहली शादी के असफ़ल होने या स्पाउस की डेथ हो जाने पर फ़ैमिलीज़ अपने बच्चों पर दोबारा शादी करने का प्रेशर बनाने लगती हैं और बच्चे प्रेशर में आकर हाँ बोल देते हैं। अगर आपने भी अपने घरवालों की बातों से परेशान होकर शादी करने का फै़सला किया है तो इस फै़सले से पीछे हट जाइये। आपकी लाइफ़ में क्या होना चाहिए, ये केवल आपको तय करना है। भले ही आपके घरवाले आपकी परवाह करते हों, लेकिन ये उन्हें आपकी ज़िंदगी के फै़सले लेने का हक नहीं देता। दोबारा शादी करना कोई छोटी सी बात नहीं है, ये आपके फ्यूचर का सवाल है इसलिए दूसरों की बातों में मत आइये। यदि फ़ैमिली आपको बोझ समझती है तो फाइनैनशिअली इंडिपेंडेंट होने के बारे में सोचिये, शादी इसका उपाय नहीं है।
2. सिंगल औरत भी सरवाइव कर सकती है
क्या आप भी सोसाइटी की बातें सुन कर ये सोच रखने लगीं हैं कि आप एक मर्द के बिना नहीं जी सकती? ये सोच बिल्कुल गलत है। आज तक हज़ारों ऐसी औरतें हुई हैं जिन्होंने सिंगल रहने का फै़सला किया है और वो बहुत खुश रही हैं। सिर्फ़ बच्चों को पिता का नाम देने के लिए दोबारा शादी करना ठीक नहीं है। आप अपने बच्चों को पालने के लिए काफ़ी हैं। आपको खुश और सेक्योर होने के लिए एक पति की ज़रूरत नहीं है। आप चाहें तो अपने पेरेंट्स के साथ रह सकती हैं या उनसे अलग अपना एक घर बना सकती हैं। सिंगल होने का मतलब ये नहीं है कि आपकी ज़िंदगी में कोई इंसान नहीं होगा और आप पूरी तरह से अकेली हो जाएँगी, आपके दोस्त और परिवार हमेशा होंगे।
3. बच्चों को इस चेंज लिए तैयार करें
अगर आप एक पेरेंट हैं तो दोबारा शादी करने के फै़सले में बच्चों को ज़रूर शामिल कीजिये। बच्चे पहले ही इस बदलाव के लिए तैयार रहेंगे तो आपकी परेशानियां कम हो जाएँगी, आपको बच्चों और शादी के बीच बैलेंस बनाने में ज़्यादा मुश्किल नहीं होगी। शादी करने से पहले अपने होने वाले पार्टनर से बच्चों का परिचय करवायें और उन्हें आपस में घुलने-मिलने का समय दें। बच्चों का दिमाग बहुत नाज़ुक होता है, कई बार ऐसे बड़े फै़सले उनके लिए चाइल्डहूड ट्रौमा बनने का काम कर सकते हैं अगर वो तैयार न हों इसलिए उन्हें हर परिस्थिति के लिए तैयार कीजिये।
4. जल्दबाज़ी ना करें
दोबारा शादी करने के फै़सले में कभी भी जल्दबाज़ी ना करें। सबसे पहले तो ये देखिये कि आप इसके लिए रेडी हैं भी या नहीं। हो सकता है अब भी पिछली शादी के टूटने के ग़म से बाहर ना आ पाएँ हों, ऐसे में दूसरी शादी करने का जोखिम मत उठाइये, पहले ख़ुद को उस दर्द से उभरने का वक़्त दीजिए। फ़िर अगर आप आगे बढ़ने को तैयार हों तो अपने पार्टनर को ठीक तरह से जान लें। उनका बर्ताव आपके प्रति, आपके बच्चों के प्रति कैसा है, वो क्या करते हैं, आपकी विचारधाराएं मिलती हैं या नहीं, उनकी इकोनॉमिक स्थिति किसी है इत्यादि; ये सब कुछ देखने परखने के बाद ही दोबारा शादी करने का निर्णय लें।
5. समाज की बातों का सामना करना होगा
हमारा समाज दो भागों में बँटा हुआ है , एक जो स्त्रियों को सिंगल नहीं रहने देता और एक जो दूसरी शादी करने पर उनपर तंज कसता है। अगर आप दूसरी या तीसरी शादी का फै़सला कर रहे हैं तो ख़ुद को समाज की बातों का सामना करने के लिए तैयार कर लीजिये। अगर आप कमज़ोर पड़ीं तो लोग अपनी घटिया बातों से आपको गहरी चोट पंहुचाएंगे और इसका असर शादी के साथ आपके मानसिक स्वास्थ पर भी होगा इसलिए इन चीज़ों से डील करने के लिए रेडी रहिए।
6. क्या आप उनके बच्चों की ज़िम्मेदारी लेने को तैयार हैं?
अगर आप एक ऐसे व्यक्ति से शादी करने का सोच रहीं हैं जो एक या दो बच्चों के पिता हैं, तो ये ज़रूर सोचिये कि आप उनके बच्चों की ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार हैं या नहीं। हो सकता है आप केवल पार्टनर चाहती हों, बच्चे नहीं या हो सकता है कि आप केवल अपने बच्चों को समय देना चाहती हों, इसलिए दोबारा शादी करने से पहले ये भी देख लें कि जिससे आप शादी कर रही हैं, वो आपकी ज़िंदगी में किस तरह के बदलाव ला रहा है, आप वो बदलाव चाहती हैं या नहीं। ऐसा ना हो कि शादी के बाद उनके बच्चों की ज़िम्मेदारी लेने में आपको समस्या होने लगे।
ये थीं remarriage me dhyan rakhne wali baate.