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यह तो शादी से पहले का हाल है। रिपोर्ट्स के अनुसार शादी के बाद शुरू होता है असली संघर्ष जहाँ उसे बहुत कुछ सुनना पड़ता है। हज़ारों ताने और बेमतलब डाँट सुनने के बाद भी उससे एक्सपेक्ट किया जाता है की वो चुप-चाप सब सुने बिना कोई जवाब दिए। कोई भी लड़की अगर शादी के बाद पलटकर जवाब देती है तो वो बद्तमीज़ नहीं होती। शादी के बाद जवाब देना गलत नहीं। क्या उस लड़की का कोई ओपिनियन नहीं, उसकी खुद की कोई इंडिविजुअलिटी नहीं ? अगर उसका ओपिनियन कुछ और है तो उस पर ज़बरदस्ती अपनी बात थोपना क्या ठीक होगा?
शादी के बाद अगर एक लड़की किसी को पलटकर जवाब देती है तो वो बद्तमीज़ नहीं होती। यह उसकी चॉइस है की वो चुप रहकर सहना पसंद करेगी या बोलकर आवाज़ उठाना। किसी और की किसी भी बात को चुप-चाप सहना एक लड़की से क्यों एक्सपेक्ट किया जाता है।
सबको अपनी सोच बदलनी होगी एक लड़की की
सबको इस मुद्दे को लेकर अपनी सोच बदलनी चाहिए। चाहे वो लड़कीवाले हो या लड़केवाले। सबको यह सोचना चाहिए की एक लड़की की अपनी इंडिविजुअलिटी है, उसके अपने खुद के ओपीनियंस हैं। उसकी खुद की सोच है जो उसे इम्पैक्ट करती है। उसके लिए उसकी आज़ादी और ख़ुशी भी उतनी ही ज़रूरी है जितना किसी और के लिए। सबको समझना चाहिए की एक लड़की कोई कठपुतली नहीं है जिसे जिसने भी जब भी चाहा अपनी मर्ज़ी से नचा लिया।
उसके ओपीनियंस भी मैटर करते हैं
यह एक लड़की के परिवार वालों को भी समझना चाहिए की उसे पराया फील न करवाएं। उसके ओपीनियंस को भी समझें। उसे सहने के लिए हमेशा मत कहें। उसे यह समझाएं की गलत के खिलाफ आवाज़ उठाना ज़रूरी है और हमेशा सहना नहीं चाहिए। उसे बतायेंकी उसका खुश रहना भी उतना ही ज़रूरी है जितना किसी और का।