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मेरा जीवन, मेरे नियम" : रितु फोगाट, कुश्ती से लेकर मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स तक

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Swati Bundela
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महावीर सिंह फोगाट, एक महान कोच हैं, जिन्होंने अपने परिवार के कई सदस्यों को प्रशिक्षित किया और उन्हें खेल के उच्चतम स्तर तक पहुँचाया। फोगाट ने 8 साल की उम्र में अपना खुद का प्रशिक्षण शुरू किया और कुछ साल बाद ही उन्होंने अपने कुश्ती करियर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्कूल छोड़ दिया।
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फोगाट ने सिंगापुर में 2016 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण लेने से पहले कुश्ती में तीन भारतीय राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतीं। अगले वर्ष, उन्होंने पोलैंड में प्रतिष्ठित विश्व अंडर -23 कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीता, वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
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रितु का अंतिम लक्ष्य वैश्विक मंच पर अपने प्रदर्शन से अपने देश को गौरवान्वित करना और भारत का पहला मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स वर्ल्ड चैंपियन बनना है।

शीदपीपल के साथ एक एक्सक्लूसिव बातचीत में रितु फोगाट ने ये बातें कही

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1) करियर - कुश्ती से मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स


रितु कहती हैं कि बचपन से उन्होंने और उनकी बहनों ने उनके पिताजी से कुश्ती ही सीखी है। परंतु उन्हें हमेशा से ही कुछ अलग कर दिखाने का, जो किसी ने नहीं किया हो, जुनून था। वे जब कुश्ती सीखती थी, तब भी वे यूट्यूब पर मिक्स्ड मार्शल आर्ट की वीडियो देखती थी और उन्हें यह काफी पसंद आया था। वे हमेशा सोचती थी कि भारत से इस खेल में कोई क्यों नहीं जाता? इसलिए उन्होंने कुश्ती से मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स में आने का निर्णय लिया।
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2) लोगों के नेगेटिव कमेंट्स को लेकर


रितु फोगाट का कहना है कि उन्होंने लोगों क्या कहेंगे इसकी कभी परवाह नहीं की। उन्होंने आगे बताया कि हाल ही में उन्होंने एक पोस्ट डाली थी। उस पर लोगों के कई नेगेटिव कमेंट आए, तो उन्होंने भी अपनी पोस्ट में लिख दिया, "मुझे नहीं परवाह कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं, मैं अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीती हूं"।
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3) अपनी बहनों के साथ संबंध


फोगाट का कहना है कि एक लड़की शायद अपनी मां से खुलकर सब बात बातें ना कर सके परंतु वह अपनी बहनों से सारी बातें शेयर करती है। उनकी बहनें उनकी सबसे अच्छी मित्र हैं। वे कहती हैं कि उनकी बड़ी बहन गीता फोगाट ने उन्हें हमेशा एक बच्चे की तरह रखा है। उनके जीवन में यदि कुछ भी होता है, तो वे सबसे पहले गीता से कहती हैं, उनसे चर्चा करती हैं। सभी के जीवन में कोई ऐसा दोस्त होना जरूरी है, जिससे वे सभी बातें शेयर कर सके।
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4) परफॉर्मेंस प्रेशर और मेंटल हेल्थ


रितु कहती है कि सभी के जीवन में वह पड़ाव आता है जब उन्हें गिव अप करने का, छोड़ देने का मन करता है। परंतु ऐसे समय में ही मानसिक रूप से मजबूत रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। हमें यह बात समझनी होगी कि हमारा इससे आगे अच्छा ही होगा।
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5) पिता का साथ और करियर


वे बताती हैं कि वे एक छोटे से गांव से हैं, जहां पर लड़कियों को अपना करियर चुनने की अनुमति नहीं दी जाती है। उन्होंने काफी छोटी उम्र में कुश्ती करना सीख लिया था और उनके पिता ने उन्हें और उनके सभी बहनों को का बहुत साथ दिया।

उस समय में भी रिश्तेदार और गांव के लोगों ने उनके पिता से कहा कि यह खेल लड़कियों के लिए नहीं है। परंतु फिर भी उनके पिता ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया। वे आगे बताती हैं कि उन्हें इन स्टीरियोटाइप्स का ज्यादा सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि वह उस टाइम काफी छोटी थी। परंतु उनकी बड़ी बहनों और पिताजी ने काफी कुछ देखा है। वे कहती हैं कि अभी काफी हद तक लोगों की सोच और स्थिति में बदलाव आया है।
#फेमिनिज्म एंटरटेनमेंट रितु फोगाट
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