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सानिया मिर्ज़ा ने बताया 13 साल पहले, 2008 के बीजिंग ओलंपिक्स के दौरान वो डिप्रेशन की शिकार हो गयी थीं। 6 बार ग्रैंड स्लैम विजेता रह चुकी सानिया ने यूट्यूब के शो माइंड मैटर्स के नए एपिसोड में साझा की ये बातें और और इस बात पे ज़ोर दिया की कैसे लोग अपनी खुशियों को अपने करियर की सफलता से जोड़ते हैं।
बीजिंग ओलंपिक्स में अपने पहले राउंड में चेक गणराज्य की इवेता बेनेसोवा का सामना करते हुए उनकी कलाई में लगी चोट के कारण वो टूर्नामेंट से बाहर हो गयी थीं। सानिया ने बताया की टूर्नामेंट से बाहर हो जाने की बात को स्वीकार करना उनके लिए बहुत मुश्किल था। वो इस बात को लेकर भी भयभीत हो गयी थीं की उन्हें फिर कभी ओलंपिक्स में मौका मिलेगा या नहीं।
इस वजह से वो करीब 3-4 महीने तक डिप्रेशन में रही । उन्होंने ये भी बताया की वो एक पल शांत रहती थीं फिर अचानक से रोने लगती थीं। यहाँ तक की वो खाना खाने के लिए भी अपने कमरे से एक महीने तक बाहर भी नहीं निकल पायी थीं। सानिया ने बताया उन्हें लगा की उन्होंने अपने परिवार और अपने देश का सर झुका दिया। उनके परिवार वालों ने उनको बहुत संभाला और उनकी इस स्तिथि में बहुत मदद की।
कलाई की इस चोट के वजह से 2008 में सानिया ने फ्रेंच ओपन और यू एस ओपन ग्रैंड स्लैम से भी अपना नाम हटवा लिया था। उन्होनें ये भी बताया की उनकी कलाई में इतनी गहरी चोट आयी थी की वो खुद से कंघी भी इस्तेमाल नहीं कर पा रही थीं। परिवार के सपोर्ट से वो फिर टेनिस खेलने के लिए तैयार हो पायी और फिर 2 साल बाद दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होनें २ स्वर्ण पदक जीतें। सानिया भविष्य में होने वाले टोक्यो ओलंपिक्स में डबल्स में खेलने उतरेंगी।
अब तक भारत की टेनिस स्टार कुल 14 पदक जीत चुकी हैं जिनमे से 6 स्वर्ण पदक है जो उन्होनें एशियाई खेल, कॉमनवेल्थ गेम्स में जीते हैं। इसके अलावा वर्ल्ड टेनिस एसोसिएशन ने साल 2003 से 2013 तक उन्हें भारत की नंबर 1 महिला टेनिस खिलाड़ी की उपाधि भी दी है। भारत सरकार की तरफ से उन्हें साल 2016 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।
कलाई में चोट की वजह से हुई थी बाहर
बीजिंग ओलंपिक्स में अपने पहले राउंड में चेक गणराज्य की इवेता बेनेसोवा का सामना करते हुए उनकी कलाई में लगी चोट के कारण वो टूर्नामेंट से बाहर हो गयी थीं। सानिया ने बताया की टूर्नामेंट से बाहर हो जाने की बात को स्वीकार करना उनके लिए बहुत मुश्किल था। वो इस बात को लेकर भी भयभीत हो गयी थीं की उन्हें फिर कभी ओलंपिक्स में मौका मिलेगा या नहीं।
इसलिए सानिया डिप्रेशन का हुई थी शिकार
इस वजह से वो करीब 3-4 महीने तक डिप्रेशन में रही । उन्होंने ये भी बताया की वो एक पल शांत रहती थीं फिर अचानक से रोने लगती थीं। यहाँ तक की वो खाना खाने के लिए भी अपने कमरे से एक महीने तक बाहर भी नहीं निकल पायी थीं। सानिया ने बताया उन्हें लगा की उन्होंने अपने परिवार और अपने देश का सर झुका दिया। उनके परिवार वालों ने उनको बहुत संभाला और उनकी इस स्तिथि में बहुत मदद की।
चोट और डिप्रेशन कई और टूर्नामेंट में नहीं जा पायी थीं सानिया
कलाई की इस चोट के वजह से 2008 में सानिया ने फ्रेंच ओपन और यू एस ओपन ग्रैंड स्लैम से भी अपना नाम हटवा लिया था। उन्होनें ये भी बताया की उनकी कलाई में इतनी गहरी चोट आयी थी की वो खुद से कंघी भी इस्तेमाल नहीं कर पा रही थीं। परिवार के सपोर्ट से वो फिर टेनिस खेलने के लिए तैयार हो पायी और फिर 2 साल बाद दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होनें २ स्वर्ण पदक जीतें। सानिया भविष्य में होने वाले टोक्यो ओलंपिक्स में डबल्स में खेलने उतरेंगी।
14 पदक जीत चुकीं है सानिया मिर्ज़ा
अब तक भारत की टेनिस स्टार कुल 14 पदक जीत चुकी हैं जिनमे से 6 स्वर्ण पदक है जो उन्होनें एशियाई खेल, कॉमनवेल्थ गेम्स में जीते हैं। इसके अलावा वर्ल्ड टेनिस एसोसिएशन ने साल 2003 से 2013 तक उन्हें भारत की नंबर 1 महिला टेनिस खिलाड़ी की उपाधि भी दी है। भारत सरकार की तरफ से उन्हें साल 2016 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।