Sankranti 2022: हिंदुस्तान में जितने अलग-अलग धर्म, जाति के लोग रहते है उतने ही उनके त्यौहार है। हर त्यौहार के साथ कोई न कोई कहानी जुड़ीं होती है और उस कहानी के संदेश को ज़िंदा रखने के लिए और आने वाली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए वो त्यौहार हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। ऐसे ही है मकर संक्राति जिसे अलग-अलग राज्य में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि असम में बिहू, पंजाब में संगरांद, आदि। आईए जानते है मकर संक्राति मनाने के कुछ कारण-
विजय दर्शन का पर्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार खिलजी के आक्रमण से नाथ योगी लगातार लड़ रहे थे उन्हें खाना खाने के लिए समय नहीं मिल पा रहा था तब बाबा गोरखनाथ ने चावल, दाल, सब्ज़ी, घी को मिलाकर खिचड़ी का नाम दिया। भूख की परेशानी दूर होने और खिलजी से विजय प्रतीक में हर वर्ष गोरखनाथ मंदिर में मेला लगता है।
सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है
सूर्य को राशियों का राजा कहा जाता है। संक्राति के समय सूर्य दक्षिण से बजाय उत्तर को गमन करने लगता है और उसकी किरणों का सेहत और शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और तन-मन शांत होता है। मकर संक्राति वसंत ऋतू के आगमन का प्रतिक भी है। इसीलिए इसे उत्तरायण भी कहा जाता है।
संक्राति पर करें पांच चीज़े अवश्य जो ग्रह दोष दूर करते है।
1.उत्तरायण में दान, गंगा स्नान का बहुत महत्व है। सुबह उठकर सूर्य नमस्कार कर स्नान करने से ग्रह दोष दूर होते है।
2.संक्राति के दिवस पर गुड़, तिल, मूंगफली, तिल के बने व्यंजन बनाएं जाते है और इनका दान भी किया जाता है।
3.संक्राति पर खिचड़ी का विशेष महत्व है, उड़द दाल शनि देव का प्रभाव कम करती है, हल्दी गुरु ग्रह का प्रभाव, घी सूर्य, शुक्र और मंगल ग्रह का अच्छा प्रभाव पड़ता है।
4. गुड़, तिल का सेवन करने से शनि, राहु, केतु का प्रभाव कम होता है, दोष दूर हो जाते है।
5. कुछ क्षेत्रों में गुड़, तिल को गंगा स्नान कर पानी में बहाया जाता है। ऐसा करके दोष दूर किए जाते है।