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महिलाओं के राइट्स: क्यों सोसाइटी सिर्फ महिलाओं की ड्यूटीज से ही रहती है ऑब्सेस्ड?

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Swati Bundela
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क्यों नहीं करती सोसाइटी महिलाओं के राइट्स के बारे में बात? आज भी सोसाइटी में कई लोगों का ये मानना है कि महिलाओं की सबसे पहली ड्यूटी होती है अपनी फैमिली के तरफ और एक महिला का सबसे बड़ा जॉब है एक अच्छी माँ और पत्नी बनना। ये वहीं लोग हैं जो ड्यूटीज के नाम पर महिलाओं से सदियों से अनपेड वर्क करवा रहे हैं। सबसे कमाल की बात तो ये है कि इन सब के बीच महिलाओं के राइट्स के बारे में कोई कभी कुछ बोलता है और अगर इन राइट्स का किसी ने उलंघन किया भी तो सोसाइटी को इससे ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता है। आखिर क्यों है सोसाइटी को महिलाओं की ड्यूटीज से ओबसेशन?

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डोमेस्टिक अनपेड वर्क है बहुत बड़ा कारण

सदियों से महिलाओं को घर के चार-दीवारी के अंदर रखना लोगों को पसंद आता है। ऐसे में मर्दों की हिम्मत इतनी बढ़ चुकी है कि वो महिलाओं को घर से बाहर ना निकलने देने के साथ-साथ उनसे हद से ज़्यादा डोमेस्टिक वर्क करवाते हैं और वो भी अनपेड। यही कारण है कि महिलाओं के पास अपने राइट्स के लिए लड़ने के लिए किसी तरह की फाइनेंसियल सपोर्ट नहीं होती है और ना चाहते हुए भी वो अनन्याय सेहती हैं। आज भी ये बहुत ही कम मर्द एक्चुअली डोमेस्टिक वर्क में इक्वलिटी का प्रदर्शन करते हैं।

महिलाओं की ड्यूटीज को लिया जाता है ग्रांटेड

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महिलाओं को बचपन से ही उनकी ड्यूटीज का सही तरह से पालन करने के बारे में इस कदर समझा दिया जाता है कि वो जीवन भर इन ड्यूटीज को पूरा करने में अपना जी-जान लगा देती हैं। अगर कोई महिला वर्किंग है तो भी इस बात से किसी को ख़ासा फर्क नहीं पड़ता है और उससे यही एक्सपेक्ट किया जाता है कि वो अपने करियर को बैलेंस करते हुए अपने घर के तरफ अपनी हर ड्यूटी को पूरा करेगी। ये ज़रूरत से ज़्यादा काम कोई अप्रिशिएट भी नहीं करता है और एक समय के बाद लोग इन सब को ग्रांटेड लेने लगते हैं।

बच्चों के कारण भी बढ़ता है बोझ

महिलाओं के ऊपर बच्चों को इस दुनिया में लाने की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी प्रकृति ने पहले से दे रखी है। ऐसे में हालत और ज़्यादा इसलिए बिगड़े हुए है क्योंकि मर्दों के दिमाग को बचपन से ऐसे ही कंडीशन किया गया है कि महिलाएं ही बच्चों की सही परवरिश कर सकती है और इसलिए ये बहुत ज़रूरी है कि वो घर पर रहें। इसके साथ-साथ डोमेस्टिक हेल्प के लिए भी सोसाइटी महिलाओं को ड्यूटीज के नाम पर ज़रूरत से ज़्यादा काम करवाकर पैसे बचाती है।

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महिलाओं को नहीं पता अपने राइट्स के बारे में

ज़्यादातर महिलाओं को भी अपने से रिलेटेड राइट्स के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। इस बात का सीधा सम्बन्ध इस बात से है कि महिलाओं को उनके राइट्स को लेकर कोई जल्दी अवगत करता नहीं है वरना वो अनपेड डोमेस्टिक हेल्प की भूमिका निभाना बंद कर सकती है और ये बात सोसाइटी के बर्दाश्त के बाहर है। महिलाओं का सही से एड्युकेशन ना पाना भी बहुत बड़ी वजह है कि उनके महिलाओं के राइट्स के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। इस परिस्थिति को बदलने की ज़रूरत है वरना समाज में इक्वलिटी स्थापित नहीं हो पाएगी।

महिलाओं के राइट्स

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#फेमिनिज्म सोसाइटी
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