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1. पहले ट्रिमस्टर में स्पॉटिंग
एक स्टडी के हिसाब से हर 4 में से 1 महिला अपने प्रेगनेंसी के पहले ट्रिमस्टर में स्पॉटिंग ऑब्ज़र्व करती है। शोध बताते हैं कि प्रेगनेंसी के छठे या सातवे हफ्ते में स्पॉटिंग सबसे कॉमन है। प्रेगनेंसी के पहले ट्रिमस्टर में स्पॉटिंग के ये कारण हो सकते हैं:
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग: ये कन्सेप्शन के 6 से 12 दिन के बीच में होती है। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग तब होती है जब एम्ब्र्यो आपके यूटेरस के वाल में फिट होता है।
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी: ये एक सीरियस मेडिकल कंडीशन है। ये तब होता है जब फर्टिलाइजेशन यूटेरस वाल के बाहर हो जाता है। अगर आपको एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो तो इसको तुरंत टर्मिनेट करवा लेना चाहिए।
- मिसकैरिज: ज़्यादातर मिसकैरिज प्रेगनेंसी के तेरवे हफ्ते तक होते हैं। इसलिए अगर आपको अपने पहले ट्रिमस्टर में स्पॉटिंग दिखे तो तुरन्त अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- अज्ञात कारण: प्रेगनेंसी के शुरुवात में कई शारीरिक बदलाव होते है। इसलिए ऐसे में स्पॉटिंग होना आम बात हो सकती है।
2. दूसरे ट्रिमस्टर में स्पॉटिंग:
दूसरे ट्रिमस्टर में स्पॉटिंग का कारण हो सकता है सर्विक्स में इर्रिटेशन। ये ज़्यादातर सर्विक्स एग्जाम के बाद होता है। अगर अपने दूसरे ट्रिमस्टर में आप पीरियड ब्लड जैसे हैवी ब्लीडिंग ऑब्ज़र्व करें तो उसके इनमें से कोई कारण हो सकते हैं:
- प्लेसेंटा प्रिविआ: ये एक ऐसी कंडीशन है जिसमे प्लेसेंटा यूटेरस के नैक को ब्लॉक कर देता है जो कि नार्मल प्रेगनेंसी में बढ़ा डाल सकता है।
- प्रीमच्योर लेबर: दूसरे ट्रिमस्टर में ब्लीडिंग का मतलब ये भी हो सकता है कि आप प्रीमच्योर लेबर से गुज़र रहें है। तुरंत डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
- लेट मिसकैरिज: लेट मिसकैरिज आपकी जान के लिए ख़तरा बन सकता है। इसलिए आपको स्पॉटिंग अनुभव हो तो तुरनत डॉक्टर से परामर्श करें।
3. तीसरे ट्रिमस्टर में स्पॉटिंग:
तीसरे ट्रिमस्टर में स्पॉटिंग सबसे कॉमन बात है। इसके लिए ज़्यादा परेशान होने कि ज़रूरत नहीं है। इसका कारण सर्विक्स इर्रिटेशन भी हो सकता है। तीसरे ट्रिमस्टर में स्पॉटिंग का मतलब लेबर कि शुरुवात भी हो सकती है। इस ट्रिमस्टर में ब्लीडिंग के ये कारण हो सकते है:
- प्लेसेंटल अब्रप्शन: ये एक ऐसी कंडीशन है जिसमें प्लेसेंटा आपके यूटेरस से चाइल्डबर्थ से पहले ही अलग हो जाता है। इसलिए ब्लीडिंग हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।
- वासा प्रिविआ: ऐसे कंडीशन में प्लेसेंटा और अम्बिलिकल कॉर्ड के ब्लड वेसल्स आपके फ़ीटस और बर्थ कैनाल के बीच में आ जाते हैं। ऐसे में फ़ीटस कि डेथ के चान्सेस बहुत ज़्यादा बढ़ जाते हैं।