Sudha Bharadwaj: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 7 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एनआईए द्वारा की गई अपील को खारिज कर दिया, जिसमें वकील और कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को भीमा कोरेगांव मामले में "डिफ़ॉल्ट जमानत पर रिहा होने का अधिकार था"। एनआईए की दलीलें खारिज होने पर भारद्वाज को अब 8 दिसंबर को रिलीज के लिए विशेष अदालत में पेश किया जाएगा।
सुधा भारद्वाज की बेल पर NIA की दलील
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी द्वारा रिप्रेजेंटेड नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय यह मानने में गलत था की भारद्वाज डिफ़ॉल्ट जमानत की हकदार है, और उन्होंने 2020 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया, जो इस कंक्लूजन पर पहुंचा था।
हालांकि, जस्टिस यूयू ललित, एस रवींद्र भट और बेला भाटिया की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एनआईए की दलीलों में कोई दम नहीं पाया और अपील को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता।
सुधा भारद्वाज को स्पेशल अदालत में बुलाया जाएगा
भारद्वाज को अब बुधवार को 8 दिसंबर को मुंबई की स्पेशल एनआईए अदालत में पेश करने की आवश्यकता होगी, जैसा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में निर्देश दिया था। वर्कर्स के अधिकारों के लिए लंबे समय से काम कर रहीं थी और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता की वकील भारद्वाज को, 28 अगस्त 2018 को भीमा कोरेगांव मामले में कई अन्य प्रसिद्ध कार्यकर्ताओं और ह्यूमन राइट्स रक्षकों के साथ गिरफ्तार किया गया था।
वह मुकदमे के इंतजार में तीन साल से अधिक समय से हिरासत में है। उच्च न्यायालय ने उसकी जमानत पली को स्वीकार करते हुए मामले में आठ अन्य आरोपियों द्वारा भी इसी तरह की पली को खारिज कर दिया है।
कौन है सुधा भारद्वाज?
सुधा भारद्वाज एक वकील और कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य में पीपल्स यूनियन सिविल लिबर्टीज के सेक्रेटरी के रूप में काम किया है। 2018 में उन्हें उसी वर्ष 1 जनवरी को हुई जाति आधारित हिंसा की एक घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। यह आरोप लगाया गया था कि भारद्वाज एल्गार परिषद के मामले से जुड़ी थी, जो 31 दिसंबर 2017 को हुआ था। कार्यकर्ता को गैरकानूनी गतिविधि एक्ट के तहत और इंडियन पीनल कोड की धारा 505, 117, 153 ए और 120 के तहत गिरफ्तार किया गया था।