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डियर सोसाइटी इन बातों को normalize करना सीखें

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Swati Bundela
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आज इकीसवीं सदी के तीसरे दशक में पहुँच जाने के बावजूद इस सोसाइटी की सोच महिलाओं के लिए ज़्यादा बदली ही नहीं है। आज भी ऐसी बहुत सी बातें हैं जिस पर इस सोसाइटी की सोच औरत और मर्दों के लिए अलग अलग है। रोज़ ऐसी बहुत सी घटनाएं सामने आ रही हैं जहाँ ये पाया गया है की महिलाओं और आदमियों में ये सोसाइटी फर्क करती है। ऐसे कई सारे किस्से सुनने को मिल जातें हैं जहाँ अगर एक लड़की इस सोसाइटी के बनाये हुए ढांचे में फिट ना हो पायी तो ये समाज उसके खिलाफ नेगेटिविटी फैलाने में ज़रा भी देर नहीं करता है। सोसाइटी सीखें इन बातों को :

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1. वूमेन का अपने मर्ज़ी के कपड़े पर जज ना करना सीखें सोसाइटी



हमें आए दिन ऐसे लोग अपने आस पास दिख जायेंगे जो एक लड़की को उसके कपड़ों के लिए जज करते हैं। ये वहीं लोग हैं जो किसी लड़के के सड़क पर बैर-चेस्टेड चलने में किसी तरह की आपत्ति नहीं जताते हैं। लेकिन अगर वहीं एक लड़की अपने पसंद के कपड़े पेहने और वो इस सोसाइटी के नॉर्म्स के हिसाब से ना हो तो वो तुरंत कैरेक्टरलेस करार दी जाती है। अपने पसंद के कपड़ें पेहने का हक़ सबको है इसलिए प्लीज इस बात को नॉर्मलाईज़ करें।
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2. वूमेन की सैलरी मेन के बराबर होना नॉर्मलाईज़ करें



स्टेटिस्टिक्स ये बताते हैं की भारत में एक वूमेन को एक घंटे के हिसाब से वहीं काम करने के लिए मेन से 46 रूपए कम मिलते हैं। ऐसा नहीं है की ये डिफरेंस सिर्फ कुछ क्षेत्रों में है। लगभग सभी क्षेत्र में महिलाओं को उनके काम के लिए मर्दों से कम सैलरी मिलती है। इस बात की बेसिस क्या है इसके बारे में कोई जानकारी किसी को भी नहीं है। समाज की डीप रूटेड
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असमानता वाली सोच के कारण हो रही इस नाइंसाफी को न सहना नॉर्मलाईज़ करें।

3. सोसाइटी सीखें वूमेन की सेफ्टी से जुड़ी इन बातों को

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एक औरत सिर्फ अपने घर में सेफ फील करें और घर के बहार नहीं तो ये सोसाइटी की सबसे बड़ी हार है। अगर किसी पब्लिक प्लेस में किसी औरत को किसी भी तरह की असहजता महसूस हो रही है और वो इस बारे में आवाज़ उठा रही है तो उसे अनसुना कर देना सही नहीं है। कोई अगर अपनी सुरक्षा के लिए मदद की मांग कर रहा है तो इस बात को नॉर्मलाईज़ करें।

4. वूमेन का इंडिपेंडेंट रहना नॉर्मलाईज़ करें



अगर कोई औरत अपने खुद के पैरों पर खड़ी है और अपने फैसले खुद लेने में सक्षम है तो इस सोसाइटी को उससे कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। जिस तरह लड़कों को हर चीज़ की आज़ादी है वहीं वातावरण लड़कियों के लिए बनाये रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। अगर कोई आपको आपके इंडिपेंडेंट होने पर कुछ कहें तो बेहिचक अपनी बात रख कर सामने वाले को आइना ज़रूर दिखाएँ। इंडिपेंडेंट होना नॉर्मलाईज़ करें।
सोसाइटी
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