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टाइम्स ग्रुप की चेयरपर्सन
इंदु जैन का जन्म 8 सितम्बर, 1936 को उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद में हुआ था। 1983 में वो फिक्की लेडीज आर्गेनाईजेशन की फॉउन्डिंग प्रेजिडेंट भी बनी। 1999 में उन्हें टाइम्स ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था और फिर 2000 में उन्होंने टाइम्स फाउंडेशन की नीवं रखी। 1999 से ही वे भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की भी चेयरपर्सन रहीं। इस ट्रस्ट के द्वारा दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय लेखों के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है।
अंगदान करना चाहती थी इंदु जैन
इंदु जैन की इच्छा थी की मृत्युपरांत उनके अंगों का दान कर दिया जाए। पर क्योंकि उनकी मृत्यु कोरोना के कारण हुई इसलिए उनकी इस इच्छा को अब पूरा नहीं किया जा सकता। अपने इस सम्पूर्ण जीवन में उन्होनें समाज के हित के लिए प्रतिपल काम किया। टाइम्स ग्रुप को भी उन्होनें अपने नेतृत्व में बहुत ऊँची बुलंदियों तक पहुंचाया।
विश्व भर से मिला सम्मान
समाज की भलाई के लिए काम करते रहने के कारण 2016 में उन्हें भारत सर्कार ने पद्मा भूषण से सम्मानित किया। इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ़ इंडिया ने उन्हें 2019 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया। वर्ष 2000 में उन्हें इंडियन कांग्रेस ऑफ़ वीमेन की तरफ से भी लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़ा गया था। 2000 में ही उन्होनें यूनाइटेड नेशंस के मिलेनियम वर्ल्ड पीस सबमिट में भी सम्बोधन दिया।
सब ने मृत्यु पर जताया शोक
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने इंदु जैन को ट्वीट के द्वारा श्रद्धांजलि देते हुए कहा की उनका जाना कला और संस्कृति के लिए एक बहुत बाड़ी हानि है। उन्होनें ये भी कहा की वो समाजसेवा और अध्यात्म के क्षेत्र में अपनी अमिट चाप छोड़ी है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट सन्देश में उनको श्रद्धांजलि देते हुए कहा की उन्हें हमेशा अपने कम्युनिटी सर्विस के लिए याद किया जाएगा। उनके साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए उन्होनें कहा की भारत की उन्नति और संस्कृति के लिए वो हमेशा काम करती रही।