/hindi/media/post_banners/rMorV39B3OltmgPFlzH2.jpg)
बर्न-आउट के लक्षण : वर्कप्लेस पर जरुरत से ज्यादा काम करने से थकान होना नॉर्मल हैं , लेकिन बर्न-आउट (Burn out) एक ऐसी स्टेज हैं जहा बॉडी फिजिकल के साथ साथ मेंटली और एमोशनली भी थक जाती ही। कई स्टडीज में सामने आया हैं कि वर्कप्लेस पर ज्यादा काम करने वालों में ये सिंड्रोम के लक्षण पाए गए हैं। इससे व्यक्ति की काम करने की क्षमता घट जाती है।
बर्न-आउट के लक्षण :
1.नींद लेने के बाद भी थकान होना
कई स्टडीज में पाया गया हैं कि ज्यादा काम करने वाले थक जाते हैं, लेकिन भरपूर नींद लेने के बाद भी यदि आपकी थकान नहीं मिट रही तो ये चिंता का विषय हो सकता हैं। शरीर इतना ज्यादा काम करता है कि व्यक्ति नींद लेता जरूर हैं पर उसे मानसिक रूप से आराम और रेस्ट नहीं मिल पाता। अच्छा और हेल्थी जीवन के लिए काम और काम के बाद रेस्ट जरुरी है,लेकिन मेन्टल और फिजिकल रूप से शांति मिलने से बॉडी पुनः तरोताज़ा हो उठती है। बर्न-आउट के लक्षण
2.उदासी और डिप्रेशन होना
काम के प्रेशर के बीच खुद को काम समय देने से दिमागी टेंशन और प्रेशर बढ़ने लगता है। ऐसे में व्यक्ति को मेंटली और एमोशनली स्ट्रांग बनाना चाहिए। ज्यादा काम और आराम न के बराबर करने से हमारा शरीर सुस्त और उदास होने लगता है।बर्न-आउट से डिप्रेशन के चान्सेस बढ़ जाते हैं। इसीलिए जितना हो सके वर्कप्लेस की तमाम प्रॉब्लम्स से जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहिए। वर्कलोड को खुद पर हावी नहीं होने देना ही इसका एकमात्र सोल्युशन है।
3.आत्मविश्वास में कमी आना
वर्कप्लेस एक ऐसी जगह है जहाँ लगातार हमें कम्पटीशन का सामना करना पड़ता है।ज्यादा काम और खुद को परफेक्ट बनाने के चक्कर में कई बार हम अपने बॉडी के साथ साथ दिमाग को भी पूरी तरह से थका देते हैं। सामाज में अपने को परफेक्ट बनाने और खुद को इस्टैब्लिश करने की इस दौड़ में जब बर्न-आउट के शिकार लोग पीछे छूट जाते हैं ,तो उनमें आत्मविश्वास की कमी आजाती है।ऐसे में हमें अपनी वर्क-लाइफ और पर्सनल लाइफ को बैलेंस करके खुद को भरोसा दिलाना चाहिए कि समय के साथ सब ठीक हो जायेगा। अपने आत्मविश्वास को कभी कमजोर नहीं पड़ने दें।
4.हमेशा नेगेटिव सोचना
जब इंसान डिप्रेशन और उदासी के स्टेज में जाता है तो उसे पूरी दुनिया खराब और बेमतलब लगने लगती है।ऐसा ही कुछ बर्न-आउट से ग्रसित किसी इंसान में लक्षण के रूप में देखा जा सकता है। डिप्रेशन इंसान को नेगेटिव बना देती है। हमेशा नकारात्मक विचार उसके मन मष्तिष्क में आते हैं। नेगेटिविटी तो खतरनाक है ही साथ में अगर व्यक्ति को डिप्रेशन हो तो ये बात और भी खतरनाक साबित हो सकती है।
5.अचानक बीपी कम या ज्यादा होना
बर्न-आउट में डिप्रेशन हो जाता है।ऐसे में इंसान दुखी और परेशान रहने लगता है।बर्न-आउट से न सिर्फ भावनात्मक प्रभाव पड़ता है बल्कि शरीर पर भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है। चिंता और तनाव से खान-पान में अंतर होना और नकारात्मक विचार घूमना आदि ये सब शरीर में अंदरूनी प्रॉब्लम बढ़ा सकते हैं। जैसे बीपी लो होना या अचकन ही बीपी हाई हो जाना।ये लक्षण बर्न-आउट से ग्रसित किसी भी इंसान में आसानी से मिलते हैं और इसका जल्द से जल्द उपचार जरुरी है।