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ऐसा कहा जात है कि कोई भी काम करते वक्त आपका पूरा दिल उसमें लगा होना चाहिए क्योंकि बिना मन के किया गया कोई भी काम अच्छा नहीं होता। बिल्कुल उसी तरह कंसेंट भी हमारे मन और किसी काम को करने की खुशी को दर्शाता है। लोग कंसेंट के बारे में काफी बातें तो करते हैं पर फिर भी काफी कुछ नहीं जानतें हैं। तो आइए जानतें हैं कंसेंट से जुड़ी बातें
क्या आप किसी की किताब लेने से पहले उससे परमिशन नहीं लेते हैं? किसी का कोई भी सामान छूने से पहले आप उसे पूछना जरूरी नहीं समझते हैं? क्या आप चाहेंगे कि आपका कोई भी सामान कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति ऐसे ही ले सकता है? आपका जवाब ज्यादातर न ही होगा।
जिस तरह किसी भी अन्य इंसान की चीज छूने से पहले आप परमिशन लेते हैं, वैसे ही उसके साथ कुछ भी करने से पहले आपको उसकी कंसेंट लेना जरूरी है और यह कंसेंट किसी पार्टिकुलर जेंडर पर निर्भर नहीं करती है।
किसी भी व्यक्ति के साथ रोमांटिक और सेक्सुअल एक्टिविटीज करने या रिलेशन बनाने के लिए आपको उसकी परमिशन मतलब कंसेंट की जरूरत होती है। सामने वाले व्यक्ति की पूर्ण और खुशी भरी हां ही उसकी कंसेंट कहलाती है।
सेक्सुअल कंसेंट सामने वाले व्यक्ति की पूर्ण मंजूरी होती है और एक पूर्ण हां होती है। याद रखिए उसका हां न कहना, ना को दर्शाता है और ना नहीं कह पाना भी ना ही होता है। फिल्मों के इस कॉन्सेप्ट से बाहर आइए जहां लड़की/लड़के की ना में भी हां होती है।
कंसेंट के बारे में लोगों की एक गलत धारणा है कि इसकी जरूरत सिर्फ पुरुषों को ही होती है या कंसेंट सिर्फ से महिला से ही मांगी जाती है। नहीं, कंसेंट किसी जेंडर पर निर्भर नहीं करता है। आप को किसी के साथ कुछ भी करने के लिए उनके कंसेंट की ज़रूरत होती ही है।
कंसेंट से जुड़ी बातें
कंसेंट क्या होता है ?
क्या आप किसी की किताब लेने से पहले उससे परमिशन नहीं लेते हैं? किसी का कोई भी सामान छूने से पहले आप उसे पूछना जरूरी नहीं समझते हैं? क्या आप चाहेंगे कि आपका कोई भी सामान कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति ऐसे ही ले सकता है? आपका जवाब ज्यादातर न ही होगा।
जिस तरह किसी भी अन्य इंसान की चीज छूने से पहले आप परमिशन लेते हैं, वैसे ही उसके साथ कुछ भी करने से पहले आपको उसकी कंसेंट लेना जरूरी है और यह कंसेंट किसी पार्टिकुलर जेंडर पर निर्भर नहीं करती है।
सेक्सुअल कंसेंट क्या होती है ?
किसी भी व्यक्ति के साथ रोमांटिक और सेक्सुअल एक्टिविटीज करने या रिलेशन बनाने के लिए आपको उसकी परमिशन मतलब कंसेंट की जरूरत होती है। सामने वाले व्यक्ति की पूर्ण और खुशी भरी हां ही उसकी कंसेंट कहलाती है।
सेक्सुअल कंसेंट सामने वाले व्यक्ति की पूर्ण मंजूरी होती है और एक पूर्ण हां होती है। याद रखिए उसका हां न कहना, ना को दर्शाता है और ना नहीं कह पाना भी ना ही होता है। फिल्मों के इस कॉन्सेप्ट से बाहर आइए जहां लड़की/लड़के की ना में भी हां होती है।
इन चीज़ो को कंसेंट न मानें
- अधूरे मन से की गई हां
- जबरदस्ती करने पर हां कहना
- अपने मन से सामने वाले की चुप्पी में से हां सुन लेना, उसके कपड़े या हंसने के तरीके को हां या निमंत्रण मान लेना कंसेंट नहीं होता है।
कंसेंट के बारे में लोगों की एक गलत धारणा है कि इसकी जरूरत सिर्फ पुरुषों को ही होती है या कंसेंट सिर्फ से महिला से ही मांगी जाती है। नहीं, कंसेंट किसी जेंडर पर निर्भर नहीं करता है। आप को किसी के साथ कुछ भी करने के लिए उनके कंसेंट की ज़रूरत होती ही है।