Who Is the Girl Behind the Award-Winning Photo: सुंदरबन के नमखाना द्वीपों में, एक लड़की समुद्र की उग्र लहरों के सामने खड़ी है। यह दृश्य न केवल प्राकृतिक आपदा का प्रतीक है, बल्कि उस त्रासदी की कहानी भी कहता है जो जलवायु परिवर्तन के कारण उसकी दुनिया में आई। इस 11 साल की लड़की, पल्लवी पारुआ की तस्वीर को मशहूर फोटोग्राफर सुप्रतीम भट्टाचार्य ने 2020 में कैद किया था। आज यह तस्वीर कई पुरस्कार जीत चुकी है और जलवायु संकट का चेहरा बन गई है।
यह लड़की कौन है जिसकी तस्वीर ने जीते कई पुरस्कार, जानिए उसकी कहानी
कौन हैं सुप्रतीम भट्टाचार्य?
सुप्रतीम भट्टाचार्य एक सम्मानित फोटोग्राफर हैं, जिनकी तस्वीरे हाशिए पर पड़े और आदिवासी समुदायों पर पर्यावरणीय संकट के प्रभाव को दर्शाती हैं। उनके संग्रह में 2021 का UNICEF Photo of the Year और जुलाई 2024 का Mangrove Action Project फोटोग्राफी अवार्ड शामिल हैं।
‘सिंकिंग सुंदरबन’ – एक विशेष फोटो अभियान
सुप्रतीम का यह अभियान 'सिंकिंग सुंदरबन' नामक श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें सुंदरबन के इलाके में बार-बार आने वाले तूफानों और बाढ़ की तसवीरें शामिल हैं। इंडो-बांग्लादेश क्षेत्र, जो अपने सुंदर हरे-भरे मैंग्रोव जंगलों के लिए जाना जाता है, अब जलवायु परिवर्तन का शिकार बन गया है।
सुंदरबन की डूबती धरती
सुंदरबन क्षेत्र में समुद्र स्तर सालाना 4.4 से 6.3 मिमी तक बढ़ रहा है, जिससे मिट्टी का कटाव, फसल उत्पादन में कमी और खाद्य संकट जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। यह क्षेत्र लगातार तटीय कटाव और मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट से जूझ रहा है। पल्लवी जैसे स्थानीय लोगों के लिए, यह संकट उनका घर और आजीविका छीन रहा है।
सुप्रतीम का अनुभव
एक इंटरव्यू में सुप्रतीम ने बताया, “जहाँ पल्लवी की तस्वीर ली गई, वहाँ कोई बांध नहीं है, जिससे वह स्थान अधिक संवेदनशील हो जाता है। मैं सुबह-सुबह वहाँ पहुँचा और समुद्र की लहरों को सामान को बचाते हुए देखा। उनके बीच पल्लवी भी थी, जिसकी चाय की दुकान रात में समुद्र में डूब चुकी थी।”
सुंदरबन पर मंडराता संकट
सुप्रतीम के अनुसार, 1973 से 2010 के बीच लगभग 170 वर्ग किलोमीटर की भूमि, जो कोलकाता के आकार की है, समुद्र में समा चुकी है। मौसुनी और घोरमारा जैसे कई द्वीप लगभग डूबने की कगार पर हैं।
सुंदरबन का भविष्य
सुप्रतीम कहते हैं, “जलवायु परिवर्तन और अवैध मैंग्रोव जंगलों की कटाई ने इस संकट को और बढ़ा दिया है।” उनके अनुसार, यदि जल्द ही कदम नहीं उठाए गए तो सुंदरबन के अन्य द्वीप भी जलमग्न हो जाएंगे।