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कमला भसीन कौन थी? फेमस वूमेन राइट्स एक्टिविस्ट कमला भसीन (Kamla Bhasin) का 25 सितंबर को निधन हो गया। 75 वर्षीय एक्टिविस्ट को कुछ महीने पहले कैंसर हुआ था। उनके निधन की खबर एक्टिविस्ट कविता श्रीवास्तव द्वारा शेयर की गई। उन्होंने ट्विटर पर लिखा “कमला भसीन, हमारी प्रिय मित्र, का आज 25 सितंबर को लगभग 3 बजे निधन हो गया। यह भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में महिला आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है। विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने जीवन का जश्न मनाया। कमला आप हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगी। एक बहन जो गहरे दुख में है।”
कमला भसीन कौन थी?
- कमला भसीन का जन्म 1946 में राजस्थान के एक परिवार में हुआ था। भसीन के पिता डॉक्टर थे।
- उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से MA की डिग्री प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने फेलोशिप पर पश्चिम जर्मनी के म्यूएनस्टर विश्वविद्यालय में विकास के समाजशास्त्र (Sociology of Development) का अध्ययन किया।
- भसीन ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बैड होननेफ में जर्मन फाउंडेशन फॉर डेवलपिंग कंट्रीज के ओरिएंटेशन सेंटर में पढ़ाया भी है।
- जर्मनी से वापस लौटने के बाद उन्होंने सेवा मंदिर के साथ काम किया। वह खाद्य और कृषि संगठन में शामिल हो गई, जिसने उन्हें दक्षिण एशिया की महिलाओं के लिए जेंडर ट्रेनिंग करने के लिए थाईलैंड भेजा।
- यही नहीं उन्होंने अपने दक्षिण एशियाई फेमिनिस्ट नेटवर्क 'संगत' को वक़्त देने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ अपनी नौकरी छोड़ दी।
- कमला भसीन की बेटी मीतो भसीन मलिक की 2006 में आत्महत्या से मृत्यु हो गई थी।
- कमला के मुताबिक़, उनकी बेटी को क्लीनिकल डिप्रेशन हुआ था और कुछ समय बाद उसने दवा लेना बंद कर दिया था।
- कमला भसीन का एक बेटा भी है जिसको छोटू नाम से बुलाते है। उनका बेटा सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है, जब वह एक साल का था, तब उस पर एक वैक्सीन का रिएक्शन हो गया था।
- सांगत की स्थापना के अलावा भसीन ने कई किताबें लिखी हैं। उनकी प्रसिद्ध किताबो में पितृसत्ता क्या है, मर्दानगी की खोज, Borders and Boundaries: भारत के विभाजन में महिलाएँ और मितवा जैसे नाम शामिल है।
- एक्टिविस्ट भसीन को उनकी कविता "क्योंकि मैं लड़की हूं, मुझे पढ़ना है" के लिए भी जाना जाता है, जो युवा लड़कियों के लिए शिक्षा के अधिकार को सपोर्ट करता है।