करियर फैसले लेने का हक़ क्यों नहीं मुझे - बचपन से मेरा एक ही सपना रहा है संगीत सीखने का, मगर आपने मेरा स्टेशन बदलवा दिया ये कहकर की हर कोई सिंगर नहीं बनता। मैं जानती थी ये इस स्टेशन में बहुत से उतार चढ़ाव थे मगर मैंने मानसिक रूप खुद को त्यार किया था। पर आपने मुझे किसी और ट्रैन बिठा दिया जो कहा जाती है मुझे नहीं पता और वहां जाने में कितना वक़्त लेगी इन सवालों का मेरे पास कोई जवाब मुझे नहीं।
फैसले लेने का हक़ क्यों नहीं मुझे?
मुझे आज़ादी क्यों नहीं मिलती - कहीं जाने की, ज़िन्दगी जीने की, महज़ सास लेना ही जीना नहीं होता तो क्यों आप अपनी हर एक बात का हाँ या ना में जवाब सुनकर चले जाते हो, ऐसा लगता है आपने मेरे सोच को खरीद लिया है और आप उतना ही सुनते है जितना आपके हक़ में हो और समाज के दायरे में भी। बेटी का अपना घर उसका ससुराल होता है ?
अगर ये सच है तो हर लड़की गलत घर में क्यों पैदा होती है। खैर इसका जवाब आप कभी नहीं दे पाएंगे, मेरी हर सुबह माँ की इन्ही बातों से शुरू होती है - ससुराल में क्या करेगी, कैसे करेगी सारे घर का काम? सीखो सब अभी से। ये सब कैसे ज़रूरी हो जाता है हर लड़कियों के लिए। उनके सपनो से उप्पर दुनिया जहां के सारे काम होते है पर वो खुद नहीं।
करियर फैसले लेने का हक़ क्यों नहीं मुझे - बचपन से मेरा एक ही सपना रहा है संगीत सीखने का, मगर आपने मेरा स्टेशन बदलवा दिया ये कहकर की हर कोई सिंगर नहीं बनता। मैं जानती थी ये इस स्टेशन में बहुत से उतार चढ़ाव थे मगर मैंने मानसिक रूप खुद को त्यार किया था। पर आपने मुझे किसी और ट्रैन बिठा दिया जो कहा जाती है मुझे नहीं पता और वहां जाने में कितना वक़्त लेगी इन सवालों का मेरे पास कोई जवाब मुझे नहीं।
मैं बस इतना जानती हूँ, की फिलाहल मैं वो कर रही हूँ जो आप चाहते थे, वो नहीं जिसका सपना मैंने सारी ज़िन्दगी देखा और अब शायद वो भी नहीं देखती ।