Advertisment

मेरे साथ घर का काम करने में तुम्हें शर्म क्यों आती है?

author-image
Swati Bundela
New Update
सेक्शुअल डिवीज़न ऑफ़ लेबर हमारे जीवन में कुछ इस तरह से शामिल है कि ज़्यादातर लोगों को इसमें समस्या नज़र ही नहीं आती और जिन्हें आती है वे केवल इस पर बात करते पाते हैं, बदलाव लाने की कोशिश कर पाना इनके लिए भी मुश्किल हो जाता है।

Advertisment


बचपन में जब बेटी को खेलने के लिए किचन सेट और बेटे हो हवाई जहाज़ दी जाती है, उसी समय बिना कहे ही दोनों को ये समझा दिया जाता है कि उनके काम किस प्रकार बॅंटे हुए हैं। बेटा बड़े होने के साथ बाहर के काम करना सीखता है वहीं बेटी घर के काम सीख कर गृहणी बनने की ट्रेनिंग लेती है। समय के साथ ये सीख आदत में तब्दील हो जाती है और ये हमारे जीवन जीने का तरीका बन जाता है।

लड़के घर का काम क्यों नहीं करते?

Advertisment


मेरी घर में अक्सर इस बात को लेकर माँ से बहस हो जाती है कि घर के काम न आने पर केवल मुझे क्यों ताना मारा जाता है, कभी मेरे भाई को कुछ क्यों नहीं कहा जाता। इस पर जवाब आता है कि "उसकी पत्नी आएगी और तुम पत्नी बनोगी।" यानी कि घर संभालना पत्नी का ही काम होता है इसलिए घर का काम सीखना दुनिया की हर स्त्री के लिए ज़रूरी है और दुनिया के हर पुरुष के लिए ज़रूरी। इसके साथ ये सोच भी जुड़ी हुई है कि घर में लड़के का मालिकाना हक होता है इसलिए उसे अपने घर में काम करने की नहीं, करवाने की ज़रूरत होती है।



ये सोच सिर्फ़ मेरे घर में नहीं है बल्कि ये एक यूनिवर्सल माइंडसेट है तभी तो काम-काजी महिलाएँ या अपने सपनों के पीछे भागती महिलाएँ जिन्हे हम सशक्त स्त्री का तमगा देते हैं, वो भी घर का काम करने से बच नहीं पातीं।
Advertisment




चलिए उन पुरुषों की बात छोड़ देते हैं जिनकी दुनिया हमेशा पितृसत्ता की चार दीवारी तक ही सीमित रही, लेकिन उन पुरुषों को घर का काम करने में क्या हर्ज़ जो पढ़े लिखे हैं, बड़े-बड़े मुद्दों पर बात करते हैं और सही गलत का फ़र्क करने में सक्षम हैं? इन्हें भला घर के कामों से क्या समस्या है? मैं बताती हूँ। इन पुरुषों के पास घर के काम ना करने के मुख्य रूप से तीन कारण है - पहला ये कि जब इन्हें मुफ़्त में कोई काम करके दे रहा है तो ये अपना आराम क्यों छोड़ें, दूसरा ये कि कितनी भी स्त्री सशक्तिकरण की बातें क्यों ना कर लें, इनके लिए स्त्री की एहमियत हमेशा किचन तक ही सीमित रहती है और तीसरा कारण है घर के कामों से जुड़ी शर्म।

Advertisment


शर्म की बात गहराई से करें तो समझ आएगा कि स्त्री की समाज की नज़रों में क्या जगह है। घर के कामों से स्त्री को कभी छुट्टी नहीं मिलती, फ़िर भी इसकी कोई कीमत नहीं है तभी तो पति अपनी पत्नी से कह पाता है कि "तुम करती ही क्या हो?" सारा दिन काम करके भी कोई स्त्री ये क्लेम नहीं कर पाती कि उसने कोई काम किया है। घर के कामों से जुड़े प्रोफ़ेशन्स को बेहद नीच दृष्टि से देखा जाता है। डोमेस्टिक हेल्पेर्स की सैलरी किसी भी अन्य जॉब से कम होती है और एक्सप्लॉइटेशन सबसे ज़्यादा। जिस समाज में ऐसी मान्यताएँ हों वहाँ पुरुष क्या ख़ुद स्त्री घर के कामों को शर्म की नज़रों से देखेगी और होता भी यही है।



इसके अलावा पुरुषों का घर के काम करने पर मज़ाक उड़ाया जाता है। उनकी मर्दानगी पर प्रश्न उठा दिये जाते हैं और "जोरू का ग़ुलाम" जैसी उपाधियाँ दे दी जाती हैं। और ये केवल परिवार के लोग या पड़ोसी नहीं करते, मीडिया भी इसी अवधारणा का समर्थन करता है। शायद ही कोई ऐड होगा जिसमें पिता को घर का काम और माँ को नौकरी करते दिखाया जाता हो और टीवी सीरियल्स के तो क्या ही कहने, सास-बहू शोज़ तो छोड़िये 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' जैसा कॉमेडी शो जिसे पूरा भारत अपने परिवार के साथ बैठ के देखता है, उसमे भी भिड़े का घर के कामों में पत्नी की मदद करने के लिए हमेशा मज़ाक उड़ाया जाता है और ये बेहद नॉर्मल तरीके से दिखाया जाता है, समस्या की तरह नहीं। हमारे लड़के यही सब देखते और सीखते हैं। लड़कों के लिए औरतों से जुड़ा कोई भी काम करना, उनके मर्द होने पर कलंक बन जाता है इसलिए वे इन कामों से बचते रहते हैं।
Advertisment


लड़कों शर्म छोड़ो !!



लड़कों का ये समझना बहुत ज़रूरी है कि औरतें उनसे किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं और उनके द्वारा किये गए काम भी, चाहे वो घर के हों या बाहर के, उतना ही महत्व रखते हैं। एक बार में सबकी सोच बदलना सम्भव नहीं है लेकिन अपनी सोच तो बदली जा ही सकती है।
Advertisment




अपने ही घर का काम करने पर अगर ज़माना आपका मज़ाक भी उड़ाता है तो जाने दीजिये। आप अपनी ज़िंदगी में 'समानता' को समाज की बातों से ज़्यादा महत्व दीजिये। आपको भी पता है कि स्त्री माँ के पेट से घर के काम सीख कर नहीं आती, उसे सिखाया जाता है। वैसे ही आप भी सीख सकते हैं। अपनी घर की स्त्रियों और अपने से जुड़े लोगों के लिए मिसाल बनिये, ज़माने के बनाये हुए ढर्रे पर मत चलिए। अपनी माँ, बहन और पत्नी का काम बाँटिये क्योंकि घर केवल एक का नहीं है तो ज़िम्मेदारियाँ भी एक की नहीं होनी चाहिए।

Advertisment


लड़कों को अपने घर पर काम बाँटना शुरू करना होगा क्योंकि आने वाले समय में स्त्रियाँ ख़ुद भी घर का सारा काम करने में रुचि नहीं लेंगी और इसका विरोध करेंगी। खाना बनाना और साफ़-सफ़ाई करना लाइफ की बेसिक स्किल्स हैं जो हर किसी से आनी चाहिए वरना हमेशा दूसरों पर डिपेंडेंट रहना पड़ता है इसलिए ख़ुद के आत्मसम्मान के लिए भी घर का काम सीखिये।

 पढ़िये: पितृसत्ता को बढ़ावा देते हैं भारतीय टीवी सीरियल्स

#फेमिनिज्म घर के काम में शर्म कैसी
Advertisment