सैक्स के बारें में बात क्यों है ज़रूरी?
सैक्स के बारें में बात करना निषेद माना जाता है, महिलाओं को कभी सामान रूप से नहीं देखा गया है, उन्हे लड़ना पड़ा है सदियों से ही अपने अधिकारों के लिए, अपनी आवाज़ के लिए। हम आज भी ऐसे समाज में रहते है जहां महिलाओं का सैक्स (Sex) के बारे में बात करना, उनके चरित्र पर सवाल उठाता है? इक्कीसवीं सदी में भारत और कई एशियन कंट्रीज ने काफ़ी तरक्की की है- वैज्ञानिक, शिक्षा, राजनीति, खेल और भी कई क्षेत्रों में ऊंचा मुकाम हासिल किया है।
मगर सामाजिक और मानसिक रूप से भारत देश अभी भी वहीं, किसी पिछड़े गांव में रहता है जहां बेटियों को बचाने के लिए घर-घर जाकर, उनके जन्म के बाद सरकारी योजना के फ़ायदे बताकर और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे देकर उन्हें मरने से उस वक्त तो बचा लिया जाता है पर उनके जन्म के बाद उनकी आज़ादी छीन लेते है और बड़ा होते ही शादी।
महिलाओं का सैक्स के बारे में बात करना क्यों नहीं माना जाता ठीक?
शादी के बाद महिलाएं सिमटे दायरों में रह जाती है। उनका काम रह जाता है बस घर को वारिस देना। सैक्स के बारे में कोई भी सवाल या सुख प्राप्त करने का नहीं। क्योंकि महिलाओं को शादी से पहले भी यहीं समझाया जाता है सैक्स अपने सुख के लिए नहीं बल्कि बच्चा करने के लिए करो। महिलाओं का सैक्स पर बात करना, समाज के कुछ रूढ़िवादी आदर्शो के खिलाफ़ है, जहां लडको से खुले - आम पूछ लिया जाता है उनकी सैक्स लाइफ सुख के बारे में जो उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
महिलाओं का सैक्स के बारे में बात करना क्यों समझा जाता है व्यक्तिगत
वर्तमान में हमारे देश की आबादी कुछ 150 करोड़ के आस-पास हैं जो बिना सैक्स के मुमकिन नहीं । फ़िर क्यों इसे व्यक्तिगत तौर पर छुपाया जाता है? सैक्स की जानकारी होना सबके लिए और ख़ास कर महिलाओं के लिए बहुत ज़रूरी है। उनके लिए एक जरिया है खुदके शरीर को बेहतर जानने का अपने सुख की बात करने का अधिकार है हर महिला को, क्योंकि सैक्स जिंदगी का अहम हिस्सा है।