/hindi/media/media_files/31QKcxUQOhaYkRzIL92m.png)
घर जमाई होना शर्म की बात? समाज में हर लड़का और लड़की की शादी को बहुत जरुरी माना गया है। शादी के बात लड़कियों को विदा होकर अपने ससुराल जाना होता है, लेकिन अगर कोई लड़का शादी के बाद अपने पत्नी के घर रहता है तो उसे समाज की नज़र में बुरा समझा जाता है। आखिर घर जमाई होने पर समाज उस लड़के को क्यों नहीं एक्सेप्ट करता ?
क्या घर जमाई होना शर्म की बात है?
आमतौर पर शादी के बाद लड़की दूल्हे के साथ ससुराल जाकर रहती है। कई बार कुछ लड़के भी अपनी पत्नी के साथ उसके मायके में रहते हैं और उन्हें घर जमाई कहा जाता है। परम्परा के हिसाब से लड़की को अपना घर छोड़ कर ससुराल जाना होता है और अगर परंपरा में कुछ भी बदलाव किये जाये तो समाज उसे स्वीकार नहीं करता।यही वजह है कि समाज के लिए घर जमाई होना शर्म की बात समझी जाती है। समाज उनको अलग नज़रों से देखता है और घर में भी उनका सम्मान नहीं होता। लेकिन ये किस हद तक सही है। 21 वीं शदी में रह रहे हम सब एक तरह तो लड़का-लड़की में कोई भेदभाव का समर्थ नहीं करते और वहीं दूसरी तरह परम्पराओं और रीति-रिवाज़ों के नाम पर अंतर कर बैठते हैं।
आज भी उन लड़कों को हीन नज़रों से देखा जाता है
आज भी उन लड़कों को हीन नज़रों से देखा जाता है जो अपनी पत्नी के मायके में रहते हैं। लेकिन आखिर ऐसा क्यों है इस बात का जवाब एक ही चीज़ से मिल सकता है कि पहले की परम्परों में महिलाओं को कमजोर समझा जाता था और शादी के बाद अपने पति के साथ रहने के लिए भेजा जाता था। लेकिन आज महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव आया है। आज महिलाएं हर जगह, हर विभाग में पुरुषों को कड़ा मुक़ाबला दे रही हैं। आज की महिलाएं फाइनैंशल रूप से आज़ाद होने के साथ-साथ मेंटली पहले से काफी स्ट्रांग हैं, उन्हें किसी के सहारे या सपोर्ट की जरूरत नहीं।
शादी एक बराबरी का रिश्ता है
लड़कों के घर जमाई होने की बात बुरा समझना कहीं न कहीं महिलाओं की तरक्की के जुड़ा है। समाज उन लड़को को कमजोर और बेकार समझता है, जो अपनी पत्नी के सहारे आगे बढ़ रहा हो या घर जमाई बन कर, उसके घर में रहता हो। घर जमाई हो जाने का मतलब ये नहीं कि उस लड़के का कोई अस्तित्व नहीं बल्कि ये तो पति-पत्नी दोनों का आपसी डिसिशन होता है। चाहे लड़की अपने ससुराल में अपने पति के साथ रहे या लड़का अपनी पत्नी के घर, घर-जमाई बन कर रहे, इस बात से उनक रिश्ते में ऊंच-नीच नहीं होती। शादी एक बराबरी का रिश्ता है, इसमें न कोई कम है न कोई ज्यादा।