लड़की की शिक्षा - हमारे देश में बेटियों को सबसे बड़ा बोझ माना जाता है, तभी तो उसका जल्दी से विवाह हो जाये और वो अपने घर चली जाये उसी की चिंता सताती रहती है। इतनी चिंता माँ बाप को अपनी बेठियो की शिक्षा की नहीं होती जितनी उसके विवाह की होती है, समाज क्या कहेगा इसकी होती है। बचपन से ही उसके दहेज़ के लिए पैसा जोड़ने लगते है। क्युकी हमने ये समाज ऐसा बना दिए है, जो की औरतो और बेटियों को एहमियत देने से डरता है। आज भी कितनी लड़किया है जो स्कूल, कॉलेज जाने के लिए तड़पती है लेकिन उन्हें वो अधिकार मिल ही नहीं पता।
लड़का लड़की में भेद भाव क्यों किया जाता है?
जब एक लड़का पैदा होता है तब परिवार में अलग खुशी की मुस्कान होती है, लेकिन वही जब एक लड़की होती है आज भी लोगो के मु उतर जाते है। जब एक पिता बोलता है की अपनी बेटी का बड़े स्कूल में दाखिला करवाऊंगा, अपनी बेटी को उसके सपने पुरे करने का होसला और उसमे उसका साथ देता है तब भी हमारा समझ उस पिता को तानने मरने से नहीं रुकता। ना केवल लॉग बल्कि अपने ही कहने लगते है इतना खर्चा क्यों कर रहा है एक दिन तोह इसको जाना ही है विवाह करके और ससुराल में कोनसा नौकरी करेगी घर के काम ही कारगी ना। इसी सोच के चलते हमारा देश विकास नहीं कर पाया।
दहेज़ प्रथा
दहेज़ प्रथा हमारे दश में बरसो से चली आ रही है। कही कानून भी लागु हुए इस प्रथा को ख़तम करने के लिए लेकिन आज भी ये प्रथा नजाने कितने राज्यों में लागु है। दहेज़ प्रथा के चलते न जाने कितने अपराध बढ़ गए है। दहेज़ कम देने पर लड़की को ताने मारे जाते है और ना देने पर रिश्ता ही तोड़ दिया जाता है।
हमारे देश की ये स्तिथि तब तक नहीं बदल सकती जब तक इंसान अपनी सोच नहीं बदलेगा। चाहे लाख कानून लागु हो जाये। आप घोड़े को पानी के पास ले जा सकते हो लेकिन उस पानी को जबरदस्ती पिला नहीं सकते। उसी प्रकार आप लोगों को बता सकते हो की लड़का लड़की सब एक सामान है सबको पढ़ने का, अपना जीवन अपने हिसाब से जीने का हक़ है। लेकिन इस सोच को सुन कर उस पर अमल करना उन पर है। जब तक ये सोच नहीं बदलेगी देश में सबको समान्य अधिकार नहीं मिल पायेगा।