तीखी लाल मिर्च खाने में उचित मात्रा में डाली जाए तो भोजन का स्वाद आ जाता है, मन को संतुष्टि मिल जाती है। लाल मिर्च हम कई तरीकों से खाने में उपयोग करते आ रहे है। कभी सूखे और पाउडर के रूप में, कभी सीधा पौधों से तोड़ कर तड़के में छौंक देते है, तो कभी इसका पेस्ट बनाकर खाने में डालते है। यह सिर्फ स्वाद को नहीं बढ़ती बल्कि इसमें कई पोषण तत्व भी पाए जाते है। लाल मिर्च विटामिन ई, विटामिन सी, विटामिन k, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और कैरोटीनॉयड के साथ फाइबर जैसे पोषक तत्वों का भंडार है पर क्या इसका कोई नुकसान है?
Why Red Chilli Is Harmful? ज्यादा लाल मिर्च खाने के 5 बड़े नुकसान -
1. पाचन तंत्र पर प्रभाव
लाल मिर्च खाने में लिमिटेड ही डाली जाती है वरना यह मूँह जला सकती है, इसी के साथ व्यक्ति असहज महसूस करता है पर गलती से ज़्यादा खाने से पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। ज़्यादा लाल मिर्च खाने से हार्टबर्न, एसिडिटी, पेट में जलन, मितली, डायरिया जैसी समस्या खड़ी हो सकती है।
2. जलन
लाल मिर्च का उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए। लेकिन जब कभी तीखा खाने का मन करता है या खाना तीखा हो जाता है इसके चलते जलन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसका अधिक सेवन गैस्ट्रोइंटेस्टिनल, गले में जलन व छाले और सीने में भी जलन का कारण बन जाता है।
3. पसीना आना
लाल मिर्च तासीर में गर्म होती है और यह गर्म क्षेत्र में ही उगाई जाती है। ऐसे में लाल मिर्च का अधिक सेवन ज़्यादा पसीना आना, नाक बहना, पेट में परेशानी और पेट में जलन जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। गर्मी में इसका अधिक सेवन ऐसी समस्याएँ खड़ी कर सकता है।
4. रियेक्ट
लाल मिर्च का सेवन कुछ दवाओं के सेवन के साथ नहीं करना चाहिए। यह उनके प्रभाव को कम कर सकती है, दवा के प्रभाव में हस्तक्षेप कर सकती है। इसका सेवन थियोफाइलिइन (Theophylline), एंजियोटेंसिन-कनवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors), शांति देने वाली दवा आदि के काम में रूकावट खड़ी कर सकती है हालांकि यह बात कंफर्म नहीं हुई है।
5. प्रीमैच्योर डिलीवरी
आपको सुनकर हैरानी होगी, लेकिन जो महिलाएं मिर्च ज्यादा खाती है, उनमें प्रीमैच्योर डिलीवरी का जोखिम रहता है। शोध के अनुसार यदि कोई व्यक्ति 3 पाउंड मिर्च को एक साथ खा ले तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है। हलाकि यह संभव नहीं है एकसाथ इतनी मिर्ची खाना। आप प्रेगनेंसी के समय मिर्च खाने पर थोड़ा ध्यान दे क्योंकि होने वाले बच्चे में साँस संबंधी बीमारियों भी जोखिम रहता है।