Urban Indian Women: आज वोमेन की टोटल वर्कफोर्स भागीदारी जो पहले से ही भारत में कम थी, COVID-19 महामारी के बाद से और भी कम हो गई है। दुनिया में पहली बार किसी महामारी के आने के दो साल बाद भी वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी अभी भी कम बनी हुई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक, 2016 के बाद भी महिला वर्कफोर्स भागीदारी कम रही है। आईए जानते है इसके कारण-
1. महामारी का प्रभाव
इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज ट्रस्ट की रिसर्च एनालिस्ट शाइनी चक्रवर्ती के अनुसार जिन महिलाओं ने महामारी में अपनी नौकरी खो दी थी या महामारी के कारण काम करना छोड़ दिया था, वे अभी तक काम पर वापिस नहीं आई हैं। इसी के साथ घरेलू काम पर ध्यान, सोशल सपोर्ट की कमी और देखभाल अर्थव्यवस्था के आभाव के चलते महिलाओं को काम पर वापिस लौटने के लिए डिमोटिवेट कर रहा हैं।
2. CMIE की रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार, 2019 और 2021 के बीच में महिला लेबर की भागीदारी में लगभग तीन प्रतिशत की गिरावट आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में वोमेन वर्कफोर्स की गिनती शहरी क्षेत्रों की तुलना में मामूली सी अधिक है, यह डेटा काफी झटका देने वाला है क्योंकि यह माना जाता है कि शहरी क्षेत्रों में महिलाएं ज़्यादा पढ़ी-लिखी होती है और उनके पास नौकरी के अवसर ज़्यादा होते है।
3. एक्सपर्ट एक्सप्लेन
विशेषज्ञ के अनुसार इसके कुछ मुख्य कारण- घरेलू काम पर ज़्यादा ध्यान, महिलाओं के खिलाफ हिंसा का बढ़ना, रूढ़िवादी विश्वास, बढ़ता फर्टिलिटी लेवल, शादी की उम्र, नगरों के लोगों का बढाव, एजुकेशन, आर्थिक विकास, लौ रेट ऑफ़ फीमेल इम्प्लॉयमेंट, जाति-धर्म आदि है।
4. घरेलू काम को मान्यता नहीं
भारत की ज़्यादातर महिलाएं काम करती है और अर्थव्यवस्था में योगदान देती है। पर उनके अधिकांश काम को मान्यता नहीं दी जाती, बल्कि उसे काम में गिना ही नहीं जाता, "वह है घरेलू कार्य"। महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा घरेलू कार्य करता है। इसका प्रूफ है- 2011-12 के आकड़ो के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र की 35.3% महिला आबादी और शहरी क्षेत्रों में 46.1% महिला आबादी घरेलू कामों में लगी हुई थी।