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समाज में सिर्फ पुरुषों का अर्न करना ही जरुरी माना गया है। अगर किसी घर में हस्बैंड कमाने वाला होता है तो महिलाओं और पत्नियों के काम करने पर हमेशा सवाल उठाया जाता है। हमारी सोसाइटी में लड़कियों को एक रहीस आदमी से शादी करना सिखाया जाता है। इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे रीज़न बताएंगे कि हस्बैंड अर्निंग है फिर भी वाइफ को क्यों अर्न करना चाहिए -
कई लोगों के पास इस तथ्य को स्वीकार करने में मुश्किल समय होता है कि एक महिला सीईओ या कामकाजी पेशेवर बनने के लिए सपने देख सकती है या नहीं। पुरुषों की तरह, उसे अपने जीवन से और खुद से एक व्यक्ति के रूप में कुछ अपेक्षाएँ हैं। इसलिए महिलाओं को फ्रीडम देनी चाहिए सपने देखने की और पूरे करने की।
ऐसी सोच है कि महिलाओं को समर्थन की आवश्यकता होती है और वे बिना किसी पुरुष की मदद के खुद की आर्थिक देखभाल नहीं कर सकती हैं। यह सच्चाई नहीं है और महिलाएं अपनी वित्तीय जरूरतों की देखभाल करने में सक्षम हैं। महिलाएं खुद अपने आप पर निर्भर हो सकती हैं और ऊचे पेमाने तक पहुंच सकती हैं।
भारत में ऐसे कई मामले हैं जहां महिलाएं जहरीले रिश्तों में हैं, इसका एक बड़ा कारण यह है कि वे आर्थिक रूप से अपने पति पर निर्भर हैं। यह उनकी स्वतंत्रता को छीन लेता है और बाकी सभी उनके लिए निर्णय लेते रहते हैं।
जब एक घर में महिला और पुरुष दोनों कमाने वाले होते हैं तब घर के खर्चे और आसानी से चलते हैं। आजकल मेहगाई आसमान छू रही है और ऐसे में सिर्फ पुरुषों पर ही पूरा भार डाल देना सही नहीं है।
1. महिलाओं के सपनों को स्वीकार करने के लिए
कई लोगों के पास इस तथ्य को स्वीकार करने में मुश्किल समय होता है कि एक महिला सीईओ या कामकाजी पेशेवर बनने के लिए सपने देख सकती है या नहीं। पुरुषों की तरह, उसे अपने जीवन से और खुद से एक व्यक्ति के रूप में कुछ अपेक्षाएँ हैं। इसलिए महिलाओं को फ्रीडम देनी चाहिए सपने देखने की और पूरे करने की।
2. बेटी कोई जिम्मेदारी नहीं
ऐसी सोच है कि महिलाओं को समर्थन की आवश्यकता होती है और वे बिना किसी पुरुष की मदद के खुद की आर्थिक देखभाल नहीं कर सकती हैं। यह सच्चाई नहीं है और महिलाएं अपनी वित्तीय जरूरतों की देखभाल करने में सक्षम हैं। महिलाएं खुद अपने आप पर निर्भर हो सकती हैं और ऊचे पेमाने तक पहुंच सकती हैं।
3. वाइफ को अर्न फ्रीडम के लिए करना चाहिए
भारत में ऐसे कई मामले हैं जहां महिलाएं जहरीले रिश्तों में हैं, इसका एक बड़ा कारण यह है कि वे आर्थिक रूप से अपने पति पर निर्भर हैं। यह उनकी स्वतंत्रता को छीन लेता है और बाकी सभी उनके लिए निर्णय लेते रहते हैं।
4. रोजमर्रा के खर्चे के लिए
जब एक घर में महिला और पुरुष दोनों कमाने वाले होते हैं तब घर के खर्चे और आसानी से चलते हैं। आजकल मेहगाई आसमान छू रही है और ऐसे में सिर्फ पुरुषों पर ही पूरा भार डाल देना सही नहीं है।