5 Unique Ways To Raise Voice For Women’s Rights: हमेशा से ही महिलाओं के प्रति समाज के दृष्टिकोण में अंतर देखने को मिले हैं। महिलाओं ने अपने अधिकार को छोड़ा और त्याग किया है, लेकिन क्या यह देखने को मिला है कि कभी पुरुषों ने महिलाओं के लिए कोई त्याग किया हो, इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि आदिकाल से ही लैंगिक समानता सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा रही है। जिस कारण महिलाएं आज भी अपने अधिकारों से वंचित हैं।
भारतीय संविधान में महिलाओं के लिए समानता की बात की गई है, लेकिन समानता तो दूर की बात है। इस पितृसत्तात्मक समाज में आज भी यह आधी आबादी अपने बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं। जिसे पाना आज भी महिलाओं के लिए एक सपने जैसा है। महिलाओं द्वारा जब भी अपने अधिकारों की बात की जाती है, तो बड़ी आसानी से उनकी जिम्मेदारी को यह बोल कर बढ़ा दिया जाता है कि स्त्री पुरुष दोनों बराबर हैं, लेकिन कभी किसी ने यह नहीं सोचा कि उन्हें इस कारण दोहरी जिम्मेदारी का निर्वाह करना पड़ रहा है।
अपने अधिकारों से वंचित हैं भारतीय महिलाएं
आज 21 वीं सदी में भी महिलाएं इसी उम्मीद में हैं कि कब उन्हें पुरुषों के समान अधिकार मिल पाएंगे, कब ये असमानता की गहरी खाई भरेगी, क्योंकि आज भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को केवल दो- तिहाई कानूनी अधिकार प्राप्त हैं, जो साफतौर पर महिलाओं के प्रति सामाजिक उदासीनता को दर्शाता है। इस खाई को भरने के लिए महिलाओं को एक लंबा रास्ता तय करना होगा, जो चुनौतियों से भरा होगा। ऐसे में हर क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ावा देने के लिए परिवार और समाज को भी अपनी मानसिकता में बदलाव करने की जरूरत है।
हमें समझना होगा कि स्त्री का योगदान के बिना समाज व देश का विकास कभी नहीं हो सकता। इसके लिए महिलाओं के हक को ध्यान में रखते हुए हमें कुछ ऐसी पहल करनी होगी जिससे महिलाओं को अधिकार दिलाने के रास्ते थोड़े आसान हो पाएं।
महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाने के 5 अनोखे तरीके
1. सोच को बदलना
महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए सबसे पहला पहल हर परिवार व समाज को अपनी सोच व मानसिकता में बदलाव करके करनी होगी, क्योंकि अगर समाज शिक्षित होगा तो सामाजिक कुरीतियों भी खत्म होगी। आज भी ज्यादातर महिलाओं को अपने अधिकारों का ही पता नहीं होता। ऐसे में हर परिवार के सदस्यों को अपने घर की महिलाओं को उनके अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा। हर पुरुष को यह समझना होगा कि एक महिला का जीवन चहारदीवारी तक सीमित नहीं है। उन्हें अपने स्वरूप समझने के साथ-साथ औरत के प्रति अपनी दृष्टिकोण को भी बदलना होगा।
2. लैंगिक पक्षपात खत्म करना
परंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमजोर वर्ग के रूप में देखा गया है। हमेशा से ही वो घर और समाज में अपमान, शोषण और भेदभाव से पीड़ित हुई हैं, क्योंकि भारतीय समाज में महिलाओं को घरेलू कार्य के अनुकूल समझा जाता है, जो कि गलत है। जिसे अब समाप्त करने की पहल करनी चाहिए। इसके लिए शुरूआत हर पुरुष को अपने घर से करनी होगी। उन्हें अपने घर की महिलाओं को सारे अधिकार देने होंगे, जो घर में मौजूद पुरुष को मिलते हैं, क्योंकि लैंगिक समानता महिलाओं के वास्तविक सामाजिक समावेश को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होता है।
3. शिक्षा को बढ़ावा देना
महिलाओं को उनके अधिकारों से परिचय कराने के लिए सबसे अहम व मुख्य पहल महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देकर करनी होगी, क्योंकि एक शिक्षित महिला अपने आवाज को बुलंद करके अपने अधिकारों की मांग करने में ज्यादा सक्षम होती हैं। ऐसे में उन्हें लैंगिक आधार पर भेदभाव का सामना भी कम करना पड़ता है। वहीं, अपने परिवार को आर्थिक रूप से संभालने के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों जैसे- दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या आदि को दूर करने की कुंजी भी साबित होती हैं।
4. हिंसा पर मूकदर्शक न बनें
आमतौर पर महिलाएं हर दिन कई तरह के हिंसा का सामना करती हैं। जिस पर अक्सर लोग मूकदर्शक बनना पसंद करते हैं, जो कि गलत है, क्योंकि महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक अपराध है इसलिए घर, कार्यस्थल या सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी महिला के साथ हो रही हिंसा पर मूकदर्शक ना बनाकर उनके अधिकारों के लिए अपने आवाज को बुलंद करें।
5. बराबरी की नजर से देखें
यदि हम चाहते हैं कि अपने हक के लिए संघर्ष कर रही आधी आबादी भी सम्मान के साथ जिएं, तो ऐसे में हर पुरुष को अपने समान महिलाओं को बराबर समझना होगा। उन्हें खुद में थोड़ा नारीत्व का गुण लाना होगा। यानी अपने पुरुषत्व को अहम छोड़कर उन्हें थोड़ा कोमल व सुगढ़ बनना होगा, तभी जाकर हर घर में मौजूद महिलाओं को उनका अधिकार मिल पाएगा और हमारा समाज भी उन्नत बन पाएगा।