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Marriage Laws: हर शादीशुदा महिला को जानने चाहिए ये 6 कानूनी अधिकार

रिलेशनशिप: हर शादीशुदा महिला को अपने कानूनी अधिकारों को जानना अत्यंत ज़रूरी है। यह उनकी सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए जरूरी है। उन्हें अपने विवाहित जीवन में कानूनी अधिकारों की समझ होनी चाहिए।

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Trishala Singh
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हर शादीशुदा महिला को जानने चाहिए ये 6 कानूनी अधिकार

(Credits: Freepik)

6 Legal Rights Every Married Woman Should Know: हर शादीशुदा महिला को अपने अधिकारों और कानूनी सुरक्षा के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। यह ना केवल उन्हें आत्मविश्वास देता है बल्कि किसी भी असामान्य परिस्थिति में वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती हैं। यहां छह महत्वपूर्ण कानूनों के बारे में बताया जा रहा है जो हर शादीशुदा महिला को पता होना चाहिए।

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Marriage Laws: हर शादीशुदा महिला को जानने चाहिए ये 6 कानूनी अधिकार

1. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, हिंदू विवाहों के पंजीकरण, संबंधों और तलाक के नियमों को निर्धारित करता है। इस अधिनियम के तहत, विवाह को मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ शर्तें होती हैं, जैसे कि दोनों पक्षों की सहमति, दोनों की न्यूनतम आयु, और एकल विवाह। इसके अलावा, यह अधिनियम तलाक के लिए आधार भी प्रदान करता है, जिसमें क्रूरता, परित्याग, व्यभिचार और मानसिक विकार शामिल हैं। यह अधिनियम महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक होने में मदद करता है और उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।

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2. घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005

यह अधिनियम घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है। इसके तहत, महिलाएं घरेलू हिंसा के सभी रूपों से सुरक्षित रहने की हकदार होती हैं, जिसमें शारीरिक, मानसिक, यौन और आर्थिक हिंसा शामिल है। इस अधिनियम के तहत महिलाएं सुरक्षा आदेश, निवास आदेश और मौद्रिक राहत प्राप्त कर सकती हैं। यह कानून महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी देता है और उन्हें किसी भी प्रकार की हिंसा से बचाने के लिए सुरक्षा उपाय प्रदान करता है।

3. पति द्वारा तलाक के मामले में अधिकार

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तलाक के मामले में महिलाओं के पास कई अधिकार होते हैं, जैसे कि भरण-पोषण (maintenance) का अधिकार, बच्चों की कस्टडी का अधिकार, और संपत्ति के विभाजन का अधिकार। कानून के तहत, एक महिला अपने पति से भरण-पोषण की मांग कर सकती है यदि वह तलाक के बाद अपने लिए वित्तीय रूप से असमर्थ है। इसके अलावा, बच्चों की कस्टडी के मामले में, अदालत बच्चों के सर्वोत्तम हित को देखते हुए निर्णय लेती है।

4. संपत्ति में अधिकार

शादीशुदा महिलाओं को अपने पति की संपत्ति में कानूनी अधिकार होता है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, एक महिला अपने पति की संपत्ति की संयुक्त उत्तराधिकारी होती है। इसके अलावा, 2005 में हुए संशोधन के अनुसार, एक महिला को अपने पिता की संपत्ति में भी समान अधिकार मिलते हैं। यह कानून महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें अपने परिवार की संपत्ति में भागीदार बनाता है।

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5. समान वेतन अधिनियम, 1976

यह अधिनियम महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन प्रदान करने का अधिकार देता है। इसके तहत, किसी भी महिला को पुरुष कर्मचारी के समान कार्य करने के लिए कम वेतन नहीं दिया जा सकता। यह कानून कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास करता है और उन्हें समान अवसर प्रदान करता है।

6. मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961

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मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961, गर्भवती महिलाओं को मातृत्व अवकाश और अन्य लाभ प्रदान करता है। इसके तहत, एक महिला को 26 सप्ताह तक का मातृत्व अवकाश, मातृत्व वेतन, और प्रसव के बाद स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार होता है। यह कानून कामकाजी महिलाओं को उनके मातृत्व के दौरान वित्तीय और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करता है।

इन कानूनों के बारे में जानकारी हर शादीशुदा महिला के लिए ज़रूरी है। यह न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है बल्कि उन्हें किसी भी असामान्य परिस्थिति में अपने अधिकारों की रक्षा करने में भी मदद करता है। महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता प्राप्त करनी चाहिए। इससे न केवल वे अपनी सुरक्षा कर सकेंगी बल्कि समाज में भी समानता और न्याय को बढ़ावा मिलेगा।

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