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अपने भाई और पिता को महिलाओं के प्रति कैसे संवेदनशील बनायें

कहते हैं कि शुभ काम घर से ही शुरू करना चाहिए, इसलिए घर में भाई और पिता को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए कुछ कदम उठाने जरूरी हैं। यहाँ कुछ सुझाव हैं जिन्हें आप अपने घर में अपना कर अपने भाई और पिता को महिलाओं के प्रति सेंसिटाइज़ कर सकते हैं।

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STP Hindi Team
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How To Sensitize Your Brother and Father Towards Women: कहते हैं कि शुभ काम घर से ही शुरू करना चाहिए, इसलिए घर में भाई और पिता को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए कुछ कदम उठाने जरूरी हैं। यह समझना और अमल में लाना, घर के हर एक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है। यहाँ कुछ सुझाव हैं जिन्हें आप अपने घर में अपना कर अपने भाई और पिता को महिलाओं के प्रति सेंसिटाइज़ कर सकते हैं।

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अपने भाई और पिता को महिलाओं के प्रति कैसे संवेदनशील बनायें

1. शिक्षा और जागरूकता

सबसे पहले, महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए शिक्षा और जागरूकता प्रदान करना ज़रूरी है। घर के बड़े लोगों को यह समझाना होगा कि हर व्यक्ति के साथ सम्मान और न्याय की भावना रखनी चाहिए। इसके लिए घर में महिलाओं के साथ व्यवहार में समानता और समझदारी से पेश आना ज़रूरी है।

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2. उचित विचार व्यवस्था

घर में महिलाओं के बारे में उचित विचार व्यवस्था बनाना बहुत ज़रूरी है। जब भी कोई महिला के प्रति किसी भी तरह का अनादर या अन्याय हो, तुरंत उस पर रोक लगानी चाहिए और गहराई से बात करनी चाहिए। इससे घर के बाकी सदस्य भी समझते हैं कि ऐसे व्यवहार को सहानुभूति से नहीं देखा जा सकता।

3. सामाजिक संकेत

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घर में महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए सामाजिक संकेत भी महत्वपूर्ण है। यानी, घर में ऐसे माहौल का निर्माण करना जहाँ सभी सदस्य महिलाओं के साथ सम्मान से व्यवहार करते हैं। इसमें किसी भी तरह का भेदभाव या 

4. समाज में जागरूकता बढ़ाना

घर के बड़े लोगों को यह समझाना ज़रूरी है कि समाज में जागरूकता बढ़ाना भी उनकी ज़िम्मेदारी है। इसके लिए सामाजिक सभाओं में शामिल होकर, महिलाओं के अधिकारों और उनकी समस्याओं पर विचार-विमर्श करना, और उन्हें सही समय पर सही सलाह देना ज़रूरी है।

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5. समान अवसर प्रदान करना

घर में महिलाओं को समान अवसर प्रदान करना भी उनके प्रति संवेदनशील होने का एक तरीका है। यानी, उन्हें घर के हर कार्यक्रम में शामिल होने का अधिकार देना और उन्हें अपने विचारों का इज़हार करने की स्वतंत्रता देना। इससे उनके आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है और उनका विश्वास भी बढ़ता है।

इन सभी सुझावों को अमल करने से भाई और पिता को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने में मदद मिलेगी और घर में एक समृद्ध और सुरक्षित वातावरण भी बना रहेगा। यह एक सामाजिक ज़िम्मेदारी है जो हर व्यक्ति को स्वीकार करनी चाहिए और उसमें योगदान देना चाहिए।

पिता भाई
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