शादी में दो लोग सारी जिंदगी एक साथ बताने का वचन करते है। कोई भी स्थिति हो चाहे दुख हो या सुख वे दोनो में ही एक दूसरे का साथ देने का वचन करते है। इसका जेंडर, करियर और किसी के सफलता के साथ कोई संबंध नहीं हैं। लेकिन हमारे समाज में किसी इंसान को उसकी शादी के बेस पर जज किया जाता है। उसे ही दुनिया का सबसे खुशहाल और सफल माना जाता है। औरत के लिए यह चीज और भी सख्त है वह जितनी अपनी लाइफ में तरक्की कर ले लेकिन असली सफलता उसकी शादी में ही मानी जाती है।
For Women, Marriage is Only success/क्या एक औरत की सफलता शादी है?
औरत की जिंदगी का लक्ष्य सिर्फ शादी है?
भारतीय समाज के अनुसार, औरत की जिंदगी का असली लक्ष्य शादी है। औरत चाहे जितनी मर्ज़ी अपने जीवन में तरक्की कर ले लेकिन सही मायनों में उसकी असल तरक्की शादी है। आज भी हमारे समाज में पित्तरसत्ता सोच मौजूद है जिसके अनुसार लड़की की शादी कर देनी चाहिए। उसके बाद वे अपने पति को सब कुछ माने और बच्चों को पैदा करें।
औरत को आगे बढ़ने का हक नहीं
क्या एक औरत सिर्फ शादी तक ही सीमित है? क्या एक औरत करियर ओरिएंटेड नहीं हो सकती? हर बार शादी को एक पूर्णविराम की तरह औरतों की जिंदगी पर लगा दिया जाता है। बचपन से ही परिवार में लडकी की शादी की बातें शुरु हो जाती है। मां-बाप जब से लड़की पैदा होती है तब से लड़की की शादी के लिए समान इकट्ठा करना शुरू कर देते है। बार-बार कहते रहते हैं यह काम सीख ले आगे शादी भी होनी है तेरी। जितना मर्जी पढ़ लिख ले करनी तो तुम्हें शादी है। ऐसे पता नहीं कितनी बातें हैं जो औरत को अपनी जिंदगी में सुननी पड़ती है।
कब बदलेगा नजरिया
यह सोच और नजरिया तब बदलेगा जब हम दूसरों में बदलाव लाने को छोड़कर अपने आप में बदलाव लाना शुरू करेंगे। जब हम लड़कियों को यह कहना बंद कर देंगे की शादी कब कर रही हो? हम उनको सिर्फ करियर पर फोकस करने देंगे। हम उनकी सफलता का मापदंड शादी नहीं मानेंगे तब ही हमारे समाज में बदलाव आएगा।