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Image Credit: Pinterest
Reasons For Lack Of Confidence In Women: पितृसत्ता हमेशा यह कोशिश करती है कि एक स्त्री दब कर रहे, उसकी सत्ता को आजीवन माने। क्योंकि जहाँ स्त्री अपने हक़ की बात करने लगेगी वहीं उसकी बुनियाद खिसकने लगेगी।बच्ची के जन्म से लेकर उसके वयस्क होने तक पितृसत्तात्मक समाज यह पुरजोर कोशिश करता है कि उसमें इतना आत्मविश्वास ही न आ सके कि वह कभी अपने हक़ की बात कर सके, कभी इस तंत्र के ख़िलाफ़ बग़ावत कर सके। समाज ने अपना गठन ही इस प्रकार से किया है कि उसमें स्त्री का व्यक्तित्त्व खुल कर न बन ही सकता है न विकसित ही हो सकता है। आइए जानते हैं समाज में वे कौन से ऐसे कारक हैं जिसके कारण महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी आ जाती है!
महिलाओं में आत्मविश्वास की कमी के कारण
1. समाज में महिलाओं को कम महत्त्व देना
समाज में महिलाओं का स्थान दोयम दर्जे का है। न उन्हें समान अवसर या सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं न ही उन्हें पुरुषों जितना महत्त्व ही दिया जाता है। पितृसत्तात्मक समाज स्त्री को अपना अस्तित्व बनाने ही नहीं देता। उसका अस्तित्व किसी न किसी पुरुष से जुड़ा रहता है तथा उसका महत्त्व भी। बचपन से हो रहे इस भेदभाव का असर उनके मानसिक विकास पर पड़ता है और धीरे–धीरे उनमें आत्मविश्वास कम होते जाता है।
2. घरेलू कामों और परिवार की देखभाल की ज़िम्मेदारी देना
महिलाओं को घरेलू कामों तथा परिवार की ज़िम्मेदारी देकर पितृसत्तात्मक समाज की यह कोशिश रहती है कि महिलाओं का सारा जीवन बस घर की चार–दीवारी में ही बीत जाए। उन्हें यह मौका ही नहीं दिया जाता कि वे बाहरी दुनिया में घुले–मिलें, बाहरी दुनिया से संवाद करें। इसके साथ ही उनके घर के काम को भी कोई महत्त्व नहीं दिया जाता न ही सराहा जाता है। ऐसे में किसी भी इंसान के आत्मविश्वास को चोट पहुँचेगी।
3. असहयोगी और आलोचनात्मक माहौल में बड़ा होना
महिलाओं को अक्सर ऐसा माहौल नहीं मिलता जिसमें उनके व्यक्तित्व के बनने में सहायता मिले। बचपन से ही ऐसे माहौल में रहना जिसमें न कोई समझने–समझाने वाला हो न किसी प्रकार का कोई सहयोग हो, ऐसे में इस सब का असर भी उनके मन–मस्तिष्क पर पड़ता है जिसका प्रभाव उनके आत्मविश्वास पर पड़ता है।
4. अकेले कुछ करने की ‘इजाज़त’ न होना
अक्सर हम देखते हैं कि महिलाओं को अकेले कहीं जाने की या अकेले कुछ करने की ‘इजाज़त’ नहीं मिलती। उनकी ‘सुरक्षा’ के नाम पर उन्हें ज़िंदगी से दो–चार होने का मौका ही नहीं दिया जाता। ऐसे में वे ज़िंदगी जीना कैसे सीख सकती हैं? ज़ाहिर सी बात है इतनी बंदिशों के बीच उनके आत्मविश्वास पर प्रभाव तो पड़ेगा ही।
5. बचपन में यौन शोषण
अक्सर महिलाओं के साथ छोटी उम्र में किसी न किसी प्रकार का यौन शोषण हुआ रहता है। बचपन में मिले इन आघातों की पीड़ा उन्हें ताउम्र झेलनी पड़ती है। जीवन भर के लिए उन्हें यह अभिघात मिल जाता है जिन्हें वे कभी नहीं भूल पाती हैं। बचपन में हुए यौन शोषण का असर बहुत हद तक उनके आत्मविश्वास पर नकारात्मक रूप से पड़ता है।