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Women's Fashion: लड़कियों के कपड़ों में पॉकेट्स क्यों नहीं होतीं?

नारीवाद: लड़कियों के कपड़ों में पॉकेट्स की कमी का मुख्य कारण फैशन उद्योग के डिजाइन और प्राथमिकताओं में बदलाव है। पारंपरिक रूप से, महिलाओं के कपड़ों को अधिक स्टाइलिश और फिट बनाने के लिए डिजाइन किया जाता है, जिसमें अक्सर पॉकेट्स की अनदेखी होती है।

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Trishala Singh
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Lack of Pockets in women's clothing

(Credits: Pinterest)

Why Is There a Lack of Pockets in Female Fashion: फैशन और कपड़ों की दुनिया में, एक सवाल जो अक्सर उठता है वह है: "लड़कियों के आउटफिट्स में पॉकेट्स क्यों नहीं होती?" यह प्रश्न न केवल फैशन के दृष्टिकोण से ज़रूरी है, बल्कि इसके पीछे सामाजिक और ऐतिहासिक पहलू भी जुड़े हुए हैं । यहां हम इस मुद्दे को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे।

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Women's Fashion: लड़कियों के कपड़ों में पॉकेट्स क्यों नहीं होतीं?

1. ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य (Historical Perspective)

पॉकेट्स का उपयोग 17वीं सदी से हो रहा है, लेकिन पहले ये कपड़ों का हिस्सा नहीं थे। महिलाएं एक अलग से पॉकेट बैग पहनती थीं, जिसे स्कर्ट के नीचे या कमरबंद में बांधा जाता था। 19वीं सदी के बाद, जब फैशन में बदलाव आया और महिलाओं के कपड़े अधिक फॉर्म-फिटिंग हो गए, तो इन बैग्स को हटाकर, छोटे और सजीले पर्स का प्रचलन शुरू हुआ। इस दौरान पुरुषों के कपड़ों में पॉकेट्स की संख्या बढ़ती गई, जबकि महिलाओं के कपड़ों में पॉकेट्स की कमी होती गई।

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2. फैशन और डिजाइन का प्रभाव (Influence of Fashion and Design)

डिजाइनर अक्सर यह मानते हैं कि महिलाओं के कपड़ों में पॉकेट्स डालने से उनकी फिटिंग और सिलोएट पर असर पड़ेगा। फैशन इंडस्ट्री में यह धारणा है कि महिलाओं के कपड़े चिकने और स्लीक दिखने चाहिए और पॉकेट्स इसमें बाधा बन सकती हैं। इसके अलावा, पॉकेट्स वाले कपड़े बनाने में अधिक सामग्री और मेहनत लगती है, जिससे उत्पादन की लागत बढ़ जाती है।

3. लिंग आधारित दृष्टिकोण (Gender Based Approach)

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फैशन में लिंग आधारित विभाजन का भी बड़ा हाथ है। पुरुषों के कपड़े प्रायोगिक और उपयोगी बनाए जाते हैं, जबकि महिलाओं के कपड़े अधिकतर दिखावे और सौंदर्य पर केंद्रित होते हैं। इस विभाजन के चलते महिलाओं के कपड़ों में पॉकेट्स की उपेक्षा की जाती है। महिलाओं को पर्स या हैंडबैग का उपयोग करने की परंपरा भी इसी कारण से बनी।

4. आर्थिक पहलू (Economic Aspects)

फैशन उद्योग में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया जाता है। पॉकेट्स की कमी से महिलाएं अधिक पर्स, हैंडबैग और अन्य एक्सेसरीज़ खरीदने के लिए मजबूर होती हैं। यह एक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है जिससे फैशन उद्योग को आर्थिक लाभ होता है।

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5. सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव (Social and Cultural Impact)

समाज में महिलाओं की भूमिका और उनकी अपेक्षाओं का भी इस पर असर होता है। यह माना जाता है कि महिलाएं अधिक स्टाइलिश और फैशनेबल दिखना चाहती हैं, जिसके चलते पॉकेट्स का अभाव होता है। इसके अलावा, यह भी धारणा है कि महिलाओं को अपनी चीजें स्वयं संभालने के बजाय, दूसरों पर निर्भर रहना चाहिए।

6. वर्तमान स्थिति और बदलाव (Current Status and Changes)

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हालांकि, आज के समय में चीजें बदल रही हैं। महिलाओं की बढ़ती जागरूकता और उनकी जरूरतों को समझते हुए, कुछ फैशन ब्रांड्स अब पॉकेट्स वाले कपड़े बनाने पर ध्यान दे रहे हैं। महिलाएं भी अब पॉकेट्स की उपयोगिता को समझते हुए ऐसे कपड़े चुन रही हैं जिनमें पॉकेट्स हों। सोशल मीडिया और महिला सशक्तिकरण के चलते यह मुद्दा अधिक मुखर हो रहा है, जिससे भविष्य में और अधिक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।

लड़कियों के आउटफिट्स में पॉकेट्स की कमी का कारण कई पहलुओं से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक, फैशन, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव इसके प्रमुख कारण हैं। हालांकि, आज के समय में महिलाओं की बढ़ती जागरूकता और उनके अधिकारों की पहचान के चलते, पॉकेट्स की वापसी की संभावना बढ़ रही है। महिलाएं अब अधिक सुविधाजनक और उपयोगी कपड़ों की मांग कर रही हैं, जो फैशन उद्योग को इस दिशा में बदलाव करने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसलिए, यह समय है कि हम इस मुद्दे को गंभीरता से लें और फैशन में समानता और उपयोगिता की ओर बढ़ें।

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