क्या आप भी इस बार अष्टमी और नवमी को लेकर हैं कंफ्यूज? जानिए सही तिथि और शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि 2025 में अष्टमी और नवमी तिथियों को लेकर लोग कन्फ्यूज़ हैं। क्या अष्टमी 7वें दिन है? कन्या पूजन कब करें? जानें सही तारीख और पूजा विधि यहां।

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Vaishali Garg
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कलश

Chaitra Navratri 2025

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि 2025 में अष्टमी और नवमी तिथियों को लेकर भक्तों में काफी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कई लोग मान रहे हैं कि इस वर्ष अष्टमी सातवें दिन पड़ रही है, जिससे कन्या पूजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों की तिथियों को लेकर असमंजस बढ़ गया है। आइए, इस विषय पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

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क्या अष्टमी 7वें दिन है? कन्या पूजन कब करें? जानें सही तारीख और पूजा विधि 

अष्टमी तिथि का समय और महत्व

Jansatta के अनुसार, चैत्र माह की अष्टमी तिथि 4 अप्रैल 2025 को रात 8:12 बजे शुरू होकर 5 अप्रैल 2025 को शाम 7:26 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, दुर्गाष्टमी का पर्व 5 अप्रैल 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन महागौरी पूजा और संधि पूजा जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान संपन्न किए जाएंगे। संधि पूजा का समय शाम 7:02 बजे से 7:50 बजे तक रहेगा।

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नवमी तिथि का समय और राम नवमी का पर्व

Ram Navami तिथि 5 अप्रैल 2025 को शाम 7:26 बजे शुरू होकर 6 अप्रैल 2025 को शाम 7:22 बजे समाप्त होगी। इस आधार पर, राम नवमी का पर्व 6 अप्रैल 2025, रविवार को मनाया जाएगा। राम नवमी के दिन मध्यान्ह मुहूर्त सुबह 11:09 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा, जो भगवान राम के जन्म का समय माना जाता है।

कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी?

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कन्या पूजन का आयोजन अष्टमी और नवमी, दोनों तिथियों पर किया जा सकता है। कुछ भक्त अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं, जबकि अन्य नवमी तिथि पर इस अनुष्ठान को संपन्न करते हैं। इस वर्ष, भक्त अपनी श्रद्धा और पारिवारिक परंपराओं के अनुसार, 5 अप्रैल या 6 अप्रैल को कन्या पूजन कर सकते हैं।

तिथियों को लेकर भ्रम का कारण

इस वर्ष एक तिथि का क्षय होने के कारण नवरात्रि आठ दिनों का ही है, जिससे अष्टमी और नवमी तिथियों को लेकर भ्रम उत्पन्न हुआ है। तिथियों की गणना चंद्रमा की गति पर आधारित होती है, जिससे कभी-कभी तिथियों का क्षय या वृद्धि होती है। Ram Navami 2025 

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भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे अपने स्थानीय पंचांग और पारिवारिक परंपराओं के अनुसार अष्टमी, नवमी और कन्या पूजन के अनुष्ठान संपन्न करें। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले विश्वसनीय स्रोतों से तिथियों की पुष्टि करना महत्वपूर्ण है, ताकि सभी पूजा-पाठ सही समय पर और विधि-विधान से संपन्न हो सके।

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