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Vasant Panchami 2025: जानें बसंत पंचमी की तिथि, मुहूर्त और विधि से लेकर सभी जरूरी बातें

बसंत पंचमी, जिसे वसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, पूरे भारत और दुनिया भर में हिंदू समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला एक जीवंत त्योहार है। चलिए आज इसके शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं-

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Rajveer Kaur
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Basant Panchmi

Image Credit: Freepik

Basant Panchami 2025: Date, Time, Rituals, and Significance: भारत देश विविधताओं से भरा हुआ देश है। यहां पर हर राज्य की अपनी संस्कृति, त्यौहार, व्यंजन, भाषा और लोकगीत हैं। ऐसे में हर महीने कोई ना कोई त्यौहार आता ही रहता है। फरवरी के महीने में पूरे देश में बसंत पंचमी मनाई जाती। बसंत पंचमी, जिसे वसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, पूरे भारत और दुनिया भर में हिंदू समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला एक जीवंत त्योहार है। चलिए आज इसके शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं-

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जानें बसंत पंचमी की तिथि, मुहूर्त और विधि से लेकर सभी जरूरी बाते

कब है बसंत पंचमी?

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी, रविवार को मनाई जाएगी। पंचाग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9:14 बजे शुरू होगी। इस तिथि का अंत 3 फरवरी को सुबह 6:52 बजे होगा। इसके अलावा, वसंत पंचमी मध्याह्न क्षण दोपहर 12:35 बजे है।

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सरस्वती पूजा का मुहूर्त जानें 

वसंत पंचमी की पूजा का मुहूर्त सुबह 7:09 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक है और यह 5 घंटे 26 मिनट तक रहेगा। इस समय पर देवी सरस्वती की पूजा करना शुभ रहेगा। 

पूजा सामग्री

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सरस्वती पूजा में मूर्ति या चित्र जैसे मां शारदा की तस्वीर और गणेश जी की मूर्ति को रख सकते हैं। इसके अलावा कलश, रोली या कुमकुम, अक्षत, पुष्प, धूप, दीपक, पान और सुपारी शामिल करें। आप हल्दी, चंदन, पंचामृत (अर्पण के लिए दूध, दही, शहद, चीनी और घी का मिश्रण या केला) और देवी के लिए पीले वस्त्र, मौली और बेल पत्र जरूर चढ़ाएं।

सर्दियों का अंत 

बसंत पंचमी को वसंत मौसम के आने और सर्दियों के अंत का प्रतीक माना जाता है। वसंत का मतलब Spring और पंचमी का मतलब बसंत के मौसम का पांचवां दिन होता है जिस दिन यह त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदू चंद्र माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में पड़ता है।

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शिक्षा से जुड़े कार्यों की शुरुआत 

यह दिन ज्ञान, संगीत, कला और बुद्धि की देवी सरस्वती को समर्पित है। इस दिन श्रद्धालु उनकी पूजा करते हैं और शिक्षा से जुड़े कार्यों में सफलता की प्रार्थना करते हैं। यह दिन बच्चों की औपचारिक शिक्षा शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है, "अक्षराभ्यासम" या "विद्या आरम्भम" की परंपरा के साथ।

पीले रंग का खास महत्व 

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इस त्योहार में पीला रंग का खास महत्व होता है, जो सरसों के फूलों से जुड़ा है। इस दिन लोग पीले कपड़े पहनते हैं, पीले फूल चढ़ाते हैं और पीले भोजन जैसे केसर चावल बनाते हैं। 

पतंग उड़ाए जाते हैं 

सरस्वती के संगीत और कला से जुड़े होने के कारण, इस दिन वाद्य यंत्रों की भी पूजा की जाती है। उत्तर भारत में खासतौर पर पंजाब और राजस्थान में इस दिन पतंग उड़ाए जाते हैं। सुबह जल्दी स्नान करने के बाद सरस्वती देवी की पूजा के बाद प्रसाद बांटा जाता है।

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इस त्यौहार का संबध हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ा है

इस दिन को कई धारणाओं से जोड़ा जाता है। कुछ लोग इस त्योहार को माता सरस्वती के साथ जोड़ते हैं लेकिन यह भी कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने इस दिन सृष्टि की रचना की थी। मत्स्य पुराण के अनुसार प्रेम के देवता कामदेव को उनकी पत्नी रति ने भगवान शिव की तपस्या से पुनर्जीवित किया था।

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