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Photograph: (Pinterest & HindustanTimes)
भारतीय हिन्दू धार्मिक और सामाजिक परंपराओं में करवा चौथ का व्रत एक खास अहमियत रखता है। इस व्रत में विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करते हुए उनके लिए निर्जल व्रत रखती हैं। सभी विवाहित महिलाएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाती हैं। हर साल की तरह इस बार भी करवाचौथ धूमधाम से मनाई जाएगी।
वैसे तो ये व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है, लेकिन इस बार तिथि को लेकर महिलाएं कन्फ्यूज़्ड हैं। आइए जानते हैं करवाचौथ का दिन, मुहूर्त और चंद्रोदय का अनुमानित सही समय।
करवाचौथ 2025: कब है व्रत, पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय, जानें पूरी जानकारी एक जगह
कब है करवाचौथ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार पूरे भारत में करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की देर रात 10:54 बजे शुरू होगी और 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे समाप्त होगी।
पूजा-अर्चना का शुभ मुहूर्त और विधि
सुबह 5:16 बजे से लेकर शाम 6:29 बजे तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा का उदय शाम 7:42 बजे होगा।
पूजा के समय के दौरान सभी विवाहित महिलाएं करवा माता की पूजा, कथा पाठ और दीप प्रज्ज्वलन करती हैं। व्रत की शुरुआत महिलाओं के सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेने के साथ होती है। कुछ जगहों पर सवेरे सरगी खाने का भी रिवाज़ होता है। शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही सभी महिलाओं का व्रत पूरा होता है।
व्रत का महत्व और नियम
करवाचौथ का व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना को पूरा करने का प्रतीक है। इस व्रत को निर्जला व्रत कहा जाता है, क्योंकि इस दिन विवाहित महिलाएं दिन भर ना तो कुछ खाती हैं ना पानी पीती हैं। शाम के समय करवा माता की पूजा कर के करवा चौथ की कथा सुनती हैं।
चाँद निकलने पर उन्हें अर्ध्य अर्पित कर उनकी पूजा के साथ ही यह व्रत संपन्न किया जाता है। कुछ विशेष नियम के अनुसार, पीरियड्स में होने वाली या गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य की दृष्टि से ढील दी गई है।
श्रृंगार और कल्चरल साइड
करवा चौथ पर महिलाओं का सोलह श्रृंगार करना बहुत शुभ माना जाता है। इसमें सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, पैरों में बिछियां, मेहंदी आदि शामिल होते हैं। इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सज-धज कर भक्ति भाव से करवा माता और चांद की पूजा करती हैं। इस दिन छन्नी से चाँद देखने का भी विशेष महत्व है। शाम में चंद्रमा दर्शन और पूजा छन्नी से ही किया जाता है। महिलाएं चंद्रमा दर्शन के बाद उसी छन्नी से अपने पति को देखती हैं और उनके हाथों से जल ग्रहण अपना करवाचौथ व्रत पूरा करती हैं।