बिना भाई की राखी: क्या राखी सिर्फ बहन-भाई का त्यौहार है?

राखी को भाई-बहन का त्योहार माना जाता है। जब भी राखी की बात आती है तो हमारे दिमाग में एक बहन अपने भाई को राखी बांधती हुई नजर आती है। लेकिन उन बहनों का क्या, जिनका कोई भाई नहीं होता, या उन भाइयों का क्या, जिनकी कोई बहन नहीं होती?

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Rajveer Kaur
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Rakhi

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Redefining Rakhi on Our Own Terms: राखी को भाई-बहन का त्योहार माना जाता है। जब भी राखी की बात आती है तो हमारे दिमाग में एक बहन अपने भाई को राखी बांधती हुई नजर आती है। लेकिन उन बहनों का क्या, जिनका कोई भाई नहीं होता, या उन भाइयों का क्या, जिनकी कोई बहन नहीं होती? राखी का त्योहार जेंडर से कहीं बढ़कर होना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं कि जिन बहनों का भाई नहीं या जिन भाइयों की बहन नहीं, उनके लिए यह त्योहार नहीं है या उन्हें इसे मनाने का हक नहीं है। अब समय आ गया है कि इस सोच को बदला जाए।

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बिना भाई की राखी: क्या राखी सिर्फ बहन-भाई का त्यौहार है?

राखी के पीछे की पारंपरिक सोच यह है कि भाई अपनी बहन की रक्षा करेगा। इसे अक्सर इस तरह दर्शाया जाता है जैसे भाई अपनी बहन पर कोई उपकार कर रहा हो। लेकिन आज की महिला यह सवाल उठाती है कि वह कब तक किसी और के भरोसे रहेगी कि उसका भाई आएगा और उसकी रक्षा करेगा? वह अपनी रक्षा स्वयं क्यों नहीं कर सकती? या फिर, जरूरत पड़ने पर बहन भी अपने भाई की रक्षा क्यों नहीं कर सकती? इस सोच को बदलने का समय आ गया है।

इसके अलावा, अगर दो बहनें हैं तो वे आपस में एक-दूसरे को राखी बांध सकती हैं। अगर आप अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं तो आप स्वयं को भी राखी बांध सकती हैं क्योंकि जब कोई और नहीं होता तो आप ही अपना सहारा होते हैं। आप हर समय किसी और की प्रतीक्षा नहीं कर सकते कि कोई आएगा और आपकी मदद करेगा या आपको बचाएगा। राखी का पूरा विचार ही असमान शक्ति संतुलन (पावर डायनामिक) पर आधारित है, जहां पुरुषों को ताकतवर और महिलाओं को कमजोर माना जाता है। यही कारण है कि भाई को राखी बांधी जाती है क्योंकि समाज मानता है कि महिलाएं इतनी सक्षम नहीं हैं कि वे अपनी रक्षा स्वयं कर सकें। 

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इसमें समाज की कंडीशनिंग की भी गलती है, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने से रोकती है। हम उन्हें अपने फैसले लेने या अपनी जिंदगी के काम स्वतंत्र रूप से करने का मौका ही नहीं देते। हम उन्हें हमेशा पिता, भाई या पति पर निर्भर बनाते हैं। इस राखी पर कुछ अलग करने की जरूरत है, ताकि वे लोग भी इस त्योहार को मना सकें जिनके भाई या बहन नहीं हैं। राखी बांधने के लिए भाई-बहन का रिश्ता होना जरूरी नहीं है। आप अपनी बहनों को, अपने दोस्तों को, या खुद को राखी बांध सकती हैं। यह पूरी तरह आप पर निर्भर है। इस तरह, आप अपनी जिंदगी में अपने फैसले खुद ले सकती हैं और किसी और को यह तय करने का मौका नहीं देतीं कि आपकी खुशी क्या है और क्या नहीं।