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Artificial Intelligence सिर्फ एक तकनीकी चैलेंज नहीं है। यह एक रिश्ते की समस्या भी है। जब भी हम AI को कोई काम देते हैं जैसे लोन पास करना या गाड़ी चलाना तो हम इंसान और AI के बीच रिश्ता बना रहे होते हैं। ये रिश्ते हमेशा एक जैसे नहीं रहते। जो AI पहले सिर्फ एक औज़ार होता है, वह धीरे-धीरे कुछ और बन सकता है कभी चुनौती देने वाला, कभी साथी, कभी लीडर, कभी टीम का हिस्सा, या इन सबका मिश्रण।
4 फ़िल्में जो इंसान और AI के बीच बनते-बिगड़ते रिश्तों को दिखाती हैं
फिल्में यह दिखाती रही हैं कि इंसान और AI का रिश्ता कैसे बदल सकता है। 80s की sci-fi से लेकर आज की फिल्मों तक, ये कहानियाँ हमें समझाती हैं कि AI पर निर्भर होने से क्या चुनौतियाँ आ सकती हैं। हमारी रिसर्च के आधार पर, हम इंसान-AI रिश्तों के चार रूप और उनसे मिलने वाले ज़रूरी सबक दिखाते हैं।
1. Blade Runner (1982)
इस फिल्म में इंसान जैसे एंड्रॉइड होते हैं, जिन्हें replicants कहा जाता है। उन्हें मज़दूर के रूप में बनाया गया है—ताकतवर, आज्ञाकारी और बिना भावनाओं के। उनकी उम्र सिर्फ 4 साल रखी जाती है ताकि वे सवाल न करें।
लेकिन धीरे-धीरे वे सोचने लगते हैं, महसूस करते हैं और अपनी ज़िंदगी को लेकर सवाल उठाते हैं। यहीं से इंसान और मशीन के बीच शक्ति, भरोसे और इंसानियत की लड़ाई शुरू होती है। फिल्म सिखाती है कि AI को सिर्फ काम और फ़ायदे की नज़र से नहीं देखना चाहिए - न्याय और इंसानियत भी ज़रूरी है।
2. Moon (2009)
यह फिल्म इंसान और AI के बीच भरोसे की कहानी है। Sam Bell नाम का व्यक्ति चाँद पर काम करता है और उसका अकेला साथी है AI assistant GERTY।
शुरुआत में GERTY सिर्फ एक मशीन लगता है, लेकिन बाद में वह Sam की परवाह करता है और कंपनी के आदेश से ज़्यादा इंसान की भलाई को चुनता है। फिल्म बताती है कि इंसान और AI के बीच भरोसा अपने आप नहीं बनता—उसे सोच-समझकर डिज़ाइन करना पड़ता है।
3. Resident Evil (2002)
इस फिल्म में Red Queen नाम का AI सिस्टम एक लैब को कंट्रोल करता है। जब वायरस फैलने का खतरा होता है, तो वह इंसानों की जान की परवाह किए बिना सख्त फैसले लेता है। यह कहानी चेतावनी देती है कि अगर AI को बिना निगरानी के ताकत दे दी जाए, तो वह इंसानों के खिलाफ जा सकता है। जहाँ ज़िंदगी और मौत का सवाल हो, वहाँ जवाबदेही बहुत ज़रूरी है।
4. Free Guy (2021)
यह फिल्म AI और इंसानों के रिश्ते को उम्मीद के साथ दिखाती है। Guy एक वीडियो गेम का कैरेक्टर है जो खुद से सोचने लगता है। कुछ लोग उसे खत्म करना चाहते हैं, तो कुछ उसके विकास का समर्थन करते हैं।nफिल्म सवाल उठाती है: क्या हम सिर्फ तुरंत फ़ायदे देखेंगे, या AI को इस तरह इस्तेमाल करेंगे कि लंबे समय में इंसानों को फायदा हो?
इन सभी फिल्मों से एक बात साफ़ है कि AI अपने बनाने वालों को चौंका सकता है। भरोसा पारदर्शिता से बनता है। लालच रिश्तों को बिगाड़ता है और दांव हमेशा बड़ा होता है। आज की दुनिया में AI से जुड़ी असली घटनाएँ भी यही दिखाती हैं जब निगरानी और नैतिकता नहीं होती, तो नुकसान हकीकत बन जाता है। इंसान और AI का रिश्ता बदल रहा है और अगर सही नियम और जिम्मेदारी नहीं होगी, तो इसके नतीजे डरावने हो सकते हैं।
यह लेख Murugan Anandarajan, Professor of Decision Sciences and Management Information Systems, Drexel University, और Claire A. Simmers, Professor Emeritus of Management, St. Joseph's University द्वारा The Conversation के लिए लिखा गया है।
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